पंजाब चुनाव: सुप्रीम कोर्ट से रेप के आरोपी विधायक सिमरजीत बैंस को भी राहत, 3 फरवरी तक गिरफ्तारी पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बैंस की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने पंजाब सरकार को 3 फरवरी तक गिरफ्तार ना करने का आदेश दिया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अब गुरुवार को दोबारा सुनवाई करेगा। इस मामले में CJI एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 1, 2022 10:41 AM IST / Updated: Feb 01 2022, 04:16 PM IST

नई दिल्ली। पंजाब में चुनाव के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से एक और बड़े नेता को राहत मिली है। कोर्ट ने लोक इंसाफ पार्टी (LIP) के नेता और विधायक सिमरजीत सिंह बैंस की गिरफ्तारी पर 3 फरवरी तक रोक लगा दी है। बैंस के खिलाफ 44 साल की एक महिला के कथित बलात्कार करने का आरोप है। इस मामले में बैंस के अलावा 6 अन्य आरोपी भी है। उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था, जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। बैंस लुधियाना के हलका आत्मनगर से विधायक हैं। पंजाब चुनाव से पहले उनकी पार्टी का एनडीए से गठबंधन होने वाला था। मगर, सीट शेयरिंग को लेकर बात नहीं बन सकी और LIP गठबंधन से अलग हो गया। बता दें कि एक दिन SC से अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया को गिरफ्तारी से राहत मिली थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बैंस की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने पंजाब सरकार को 3 फरवरी तक गिरफ्तार ना करने का आदेश दिया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अब गुरुवार को दोबारा सुनवाई करेगा। इस मामले में CJI एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की। बेंच ने निर्देश दिया है कि शिकायतकर्ता महिला द्वारा दायर रिट याचिका को गुरुवार को बैंस द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका के साथ सूचीबद्ध किया जाए। आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए। बेंच शुरुआत में सिमरजीत को 23 फरवरी तक सुरक्षा प्रदान करने के लिए इच्छुक थी।

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पहले 23 फरवरी तक गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी
हालांकि, शिकायतकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता गगन गुप्ता ने याचिकाकर्ता को राहत दिए जाने का विरोध किया। मामले में CJI एनवी रमना ने कहा कि हम गुण-दोष के आधार पर कुछ नहीं कह रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाइकोर्ट ने मामले को सीज कर दिया है और कोई आदेश पारित नहीं किया है। हम उसे सिर्फ 23 फरवरी तक की अनुमति दे रहे हैं, उसे गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए, उसके बाद उसे आत्मसमर्पण करना होगा और नियमित जमानत लेनी होगी। 

पीड़िता के वकील ने गिरफ्तारी पर रोक का विरोध किया
अधिवक्ता गुप्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कई बार गैर जमानती वारंट जारी किया जा चुका है। इसके अलावा, जब से शिकायतकर्ता द्वारा याचिकाकर्ता पर आरोप लगाते हुए बलात्कार की प्राथमिकी दर्ज की गई है, उसके खिलाफ 4 मामले दर्ज किए गए हैं, और उसके गवाहों को परेशान किया जा रहा है और धमकाया जा रहा है। 

विधायक के खिलाफ 20 केस पेंडिंग
उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने इसे चुनावी मुद्दा बनाने के लिए अदालत के समक्ष पेश किया है। उन्होंने कहा कि मामला उच्च न्यायालय के समक्ष चल रहा है, जहां एक स्टेटस रिपोर्ट दायर की गई है। जिसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता विधायक के खिलाफ 20 मामले पेंडिंग हैं। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह शिकायतकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका पर पहले सुनवाई के बाद ही वर्तमान एसएलपी में आदेश पारित करे।

विधायक के वकील की तरफ से ये कहा गया
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी द्वारा तत्काल लिस्टिंग की मांग के बाद मामले को आज सूचीबद्ध किया गया था, जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता को पंजाब में चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करना है, लेकिन उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए हैं। एडवोकेट मिशा रोहतगी के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि ये मामला गंभीर है, क्योंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के कारण वह पंजाब चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करने की स्थिति में नहीं है। आज यानी 1 फरवरी आखिरी तारीख है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज झूठे मामले पर विचार नहीं किया और 10 दिसंबर 2021 को स्थानीय मजिस्ट्रेट के आदेश पर रोक नहीं लगाई। याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर और गैर जमानती वारंट जारी किया गया है।

नवंबर 2020 में हुई थी शिकायत
बता दें कि इस मामले में पीड़ित महिला ने सबसे पहले 16 नवंबर 2020 को पुलिस कमिश्नर को एक शिकायती पत्र दिया था। पीड़िता का कहना था कि विधायक सिमरजीत सिंह बैंस, कमलजीत सिंह, बलजिंदर कौर, जसबीर कौर उर्फ भाभी, सुखचैन सिंह, परमजीत सिंह उर्फ पम्मा और गोगी शर्मा ने उसके साथ रेप किया है। उसका कहना था कि पुलिस ने शिकायत पर कार्रवाई नहीं की। सिर्फ जांच के नाम पर टालते रहे। उसके बाद पीड़िता ने स्थानीय अदालत में गुहार लगाई। 

पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज किया
इस मामले में कोर्ट ने 7 जुलाई 2021 को थाना डिविजन नंबर 6 की पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। पुलिस ने विधायक बैंस समेत अन्य सभी 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। कोर्ट ने इस मामले में दो माह के अंदर चार्जशीट फाइल करने के लिए कहा था, इसके बावजूद पुलिस ने लगभग 4 माह के बाद चार्जशीट को 11 नवंबर 2021 को पेश किया। अभी तक इस मामले के एक भी आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है। मामले में कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया था। पुलिस ने कोर्ट में बताया था कि आरोपियों को पकड़ने के लिए उनके घर गए थे, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। 

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