किस्सा : जब प्राण के पास नहीं था कोई काम, घर चलाने के लिए बेचनी पड़ी थी पत्नी की ज्वैलरी
एंटरटेनमेंट डेस्क. बॉलीवुड के सबसे पॉपुलर विलेन में शुमार रहे प्राण की आज 103वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 12 फ़रवरी 1920 को जन्मे प्राण 1940 से 2007 तक फ़िल्मी दुनिया में एक्टिव रहे और इस दौरान उन्होंने ऐसा दौर भी देखा था, जब उन्हें काम नहीं मिल रहा था।
Gagan Gurjar | Published : Feb 12, 2023 8:09 AM IST
प्राण ने दो दशक तक हिंदी सिनेमा में विलेन का रोल इतने शानदार तरीके से निभाया कि लोगों की नजरों में वे असल विलेन बन गए थे। लोग अपने बच्चों का नाम प्राण रखना पसंद नहीं करते थे। लेकिन जब वे मुंबई पहुंचे थे तो करियर की शुरुआत में उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ा था।
खुद प्राण ने अपने स्ट्रगल के बारे में एक बातचीत में बताया था। उन्होंने कहा था, "20 से ज्यादा फ़िल्में करने के बाद मुझे लगा कि हिंदी फ़िल्में मेरा स्वागत करेंगी। लेकिन मैं गलत था। यहां तो बहुत धक्के खाने पड़े।"
प्राण ने आगे कहा था, "6 महीने तक मेरे पास कोई काम नहीं था। मुझे अपने बिल चुकाने के लिए पत्नी की कुछ ज्वैलरी बेचनी पड़ी थी।"
प्राण ने 1940 में पहली फिल्म 'यमला जट' लाहौर में की थी। कई फिल्मों में काम करने के बाद जब 1947 में देश का विभाजन हुआ तो वे इंदौर आ गए और फिर मुंबई शिफ्ट हो गए। उन्होंने एक इंटरव्यू में 1947 के दंगों के बारे में बात की थी।
प्राण ने बताया था, "जब 1947 में दंगे शुरू हुए तो मैंने अपनी बीवी और एक साल के बच्चे को इंदौर में अपनी सिस्टर-इन-लॉ के पास भेज दिया। 11 अगस्त 1947 को मेरे बेटे का पहला जन्मदिन था। पत्नी ने मुझसे कहा कि अगर मैं इंदौर नहीं आऊंगा तो वे जन्मदिन नहीं मनाएंगी। इस तरह मैं 10 अगस्त को इंदौर पहुंचा।"
प्राण ने आगे कहा था, "अगले दिन ऑल इंडिया रेडियो ने अनाउंसमेंट किया कि लाहौर में इंटर-कम्युनल नरसंहार शुरू हो गया है। चूंकि मैं वापस नहीं जा सका, इसलिए हम बॉम्बे आ गए। 14 अगस्त 1947 को आजादी की पूर्व संध्या पर मैं परिवार समेत मुंबई आ गया था।"
मुंबई में प्राण की पहली फिल्म 1948 में रिलीज हुई 'जिद्दी' थ। बाद में वे 'गृहस्थी', 'पुतली' जैसी फिल्मों में दिखे, जो बड़ी हिट साबित हुईं। उन्होंने इंटरव्यू में बताया था, "एवीएम प्रोडक्शन की पहली फिल्म 'बहार' साइन करने के बाद चीजें ट्रैक पर आईं। सोहराब मोदी ने मुझे शीश महल दी। चूंकि मेरी ज्यादातर फ़िल्में हिट हो रही थीं, इसलिए मेरी डिमांड बढ़ती गई।"
प्राण अब इस दुनिया में नहीं हैं। 12 जुलाई 2013 को 93 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली थी। निधन से कुछ महीने पहले उन्हें दादा साहब फाल्के अवॉर्ड दिया गया था, जो उन्हें घर पहुंचकर सौंपा गया था।