बिहार की ये बेटियां, महिलाओं के लिए लिख रही सफलता की नई कहानियां

पटना (Bihar) । अक्सर समाज में महिलाओं को किसी भी क्षेत्र में पुरूषों की तुलना में कम महत्व दिया जाता है। लेकिन, बिहार में अब ऐसा नहीं दिख रहा है, क्योंकि यहां भी अब महिलाएं पुरुषों की तरह आगे बढ़ रही हैं। ऐसी ही चार बेटियों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिनकी बिहार में महिलाओं के बीच अलग पहचान बन गई है। जी हां ये बेटियां इस समय महिलाओं की आवाज बन गई है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 20, 2020 9:16 AM IST / Updated: Oct 20 2020, 02:51 PM IST

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बिहार की ये बेटियां, महिलाओं के लिए लिख रही सफलता की नई कहानियां

कोरोना काल में रुबीना  खातून का नाम देशभर में लिया गया। वो सुप्पी प्रखंड के सुदूर गांव की रहने वाली हैं। पीएम नरेंद्र मोदी, नीति आयोग और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी उनके मास्क की तारीफ की थी। इसके बाद प्रशासन ने 10 लाख रुपए का मास्क बनाने का ऑफर किया है। दो-दो लाख रुपए पांच बार में जिला प्रशासन मास्क बनाने के लिए जीविका दीदियों को मुहैया कराएगा। 

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रुबीना खातून ने कोरोना काल में मानवता की मिसाल पेश की है। वो कहती हैं प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपना को साकार करना चाहती हूं। रक्षाबंधन में एक बहन के नाते मैंने प्रधानमंत्री को राखियां भेजीं थी और उन्होंने अपनी शुभकामनाएं देकर उज्ज्वल भविष्य की कामना कीं थी। इससे हमारा मनोबल काफी बढ़ा है।
 

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मुजफ्फरपुर के मिठनपुरा मोहल्ला प्रतिभा प्रिया अपनी मेहनत व लगन के बल पर राष्ट्रीय पटल पर नाम कमा रही हैं। छोटे से शहर से निकलकर दिल्ली में अपनी सफलता का डंका बजा रही हैं। खेल का मैदान हो या समाजसेवा का क्षेत्र लोगों का दिल जीतने का काम किया है। वह न सिर्फ फिल्मी सितारों व देश के नामी खिलाडियों को फिटनेस के टिप्स दे रहीं, बल्कि आम लोगों के बीच फिट इंडिया का संदेश बांट रही हैं। 

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मधेपुरा निवासी पूनम कुमारी शादी के बाद बिहार पुलिस में भर्ती हुई। वे इस समय अपने दो बच्चों को संभालते हुए अपनी जिम्मेवारी निभा रही है। अपनी सफलता के बाद लगातार महिलाओं को आगे बढने के लिए प्रेरित करती रहती है। साथ ही महिलाओं एक बार में सफलता नहीं मिलने पर उस असफलता से सीख लेकर दोगुनी शक्ति के साथ जीवन में अपने लक्ष्य के प्रति आगे बढने के लिए प्रेरित करती है। 
 

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मुजफ्फरपुर शहर की व्यवसायी बहू रश्मि मोहन बालिका शिक्षा व कन्या सुरक्षा को समर्पित हैं। उन्हें सिर्फ दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी बार्बी बीटेक कर रही है और छोटी अस्मी अभी छठी कक्षा में है। बेटा नहीं होने का उनको कोई मलाल नहीं, क्योंकि बेटा एवं बेटी के बीच वह किसी प्रकार अंतर नहीं मानतीं। अपनी इस चाहत को वह अन्य परिवारों में भी देखना चाहती हैं। इसलिए लोगों को इसके लिए प्रेरित करती हैं।
 

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