.....तो क्या 88 साल बाद फिर से टाटा की हो जाएगी एयर इंडिया?
मुंबई: टाटा ग्रुप भारत में एयर इंडिया के साथ इंडियन रेलवे में निवेश करनी की तैयारी में लगा हुआ है। हाल ही में सरकार ने एयर इंडिया में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के का ऐलान किया है। एयर इंडिया के लिए 17 मार्च तक बोलियां मंगाई गई हैं। खबरों के अनुसार टाटा ग्रुप सिंगापुर एयरलाइन्स के साथ एयर इंडिया की हिस्सेदारी खरीदने की तैयारी में है। लेकिन बहुत कम लोग ये बात जानते है की एयर इंडिया आज से 88 साल पहले टाटा ग्रुप की हुआ करती थी आइए जानते है की कैसे एयर इंडिया टाटा ग्रुप के हाथ से सरकार के हाथ में चली गई।
एयर इंडिया की नींव साल 1932 में जेआरडी टाटा ने ही एयर इंडिया ने रखी थी और 1946 में इसका नैश्नलाइजेशन कर दिया गया था। शुरुआत में इसका नाम टाटा एयरलाइन्स हुआ करता था और नैशनलाइजेशन के बाद 1948 में इसका नाम एयर इंडिया कर दिया गया था।
टाटा एयरलाइंस की शुरुआत यूं तो साल 1932 में हुई थी मगर जेआरडी टाटा ने वर्ष 1919 में ही पहली बार हवाई जहाज तब शौकिया तौर पर उड़ाया था जब वो सिर्फ 15 साल के थे।
टाटा एयरलाइंस के लिए साल 1933 पहला व्यावसायिक वर्ष रहा। 'टाटा संस' की दो लाख की लागत से स्थापित कंपनी ने इसी वर्ष 155 पैसेंजरों और लगभग 11 टन डाक भी ढोई।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब विमान सेवाओं को बहाल किया गया तब 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस 'पब्लिक लिमिटेड' कंपनी बन गयी और उसका नाम बदलकर 'एयर इंडिया लिमिटेड' रखा गया।
अब कर्ज के संकट से जूझ रही एयर इंडिया के लिए 17 मार्च तक बोलियां मंगाई गई हैं और टाटा ग्रुप इसके लिए अपनी दावेदारी को लेकर अपने प्लान को अंतिम रूप देने के बेहद करीब है। टाटा ग्रुप सिंगापुर एयरलाइन्स के साथ मिलकर एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की तैयारी कर रहा है और सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दोनों मिलकर इस अधिग्रहण को स्वरूप देने के लिए काम शुरू कर चुके हैं।
एयर इंडिया के अलावा टाटा ग्रुप इंडियन रेलवे में भी बड़े पैमाने पर निवेश करने के बारे में सोच रहा है। सरकार ने तेजस के साथ प्राइवेट ट्रेन की शुरुआत पहले ही कर दी है। बजट 2020 में 100 रेलमार्गों पर 150 प्राइवेट ट्रेन चलाने की मंजूरी दी गई थी। इन ट्रेनों का मुकाबला राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों से होगा। जिसके लिए टाटा ग्रुप भी कई कंपनियों के साथ टाटा भी रेस में काफी आगे है।