राजशेखर बताते हैं कि अन्ना हजारे के साथ उन्होंने 22 गांवों में काम किया। उन्हें सिर्फ महीने के 2 हजार रुपए मिलते थे। पिता को पैरालिसिस का अटैक आया ,तो मां ने सबकुछ छोड़कर घर लौट आने कहा। घर पहुंचकर मालूम चला कि पिता के सिर पर कर्ज चढ़ गया है। कहीं से कोई आमदनी भी नहीं हो रही है।राजशेखर बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने खेती-किसानी करने की ठानी। गांव में तब पानी का स्तर ठीक नहीं था। राजशेखर ने वाटरमैन के नाम से प्रसिद्ध राजेंद्र सिंह से मदद ली। इसके बाद राजशेखर ने अपने गांव से निकले 10 किमी लंबे नाले को साफ कराया, ताकि उसमें बरसात का पानी संरक्षित हो सके।