बेरोजगारी की एक बड़ी समस्या नौकरी के पीछे भागमभाग है। जबकि रोजगार या काम-धंधे के ऐसे कई विकल्प हैं, जो आपको नौकरी में मिलने वाली सैलरी से कई गुना अधिक कमाई करा सकते हैं। महाराष्ट्र के उस्मानाबाद के रहने वाले राजशेखर पाटिल इसी का उदाहरण हैं। इनका परिवार खेती-किसानी से जुड़ा है। लेकिन एग्रीकल्चर सब्जेक्ट से ग्रेजुएट राजशेखर शहर में रहकर कोई नौकरी करना चाहते थे। 3-4 साल तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते रहे। लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। फिर कोई दूसरी सरकारी या प्राइवेट नौकरी के लिए हाथ-पैर मारते रहे। यहां भी नाकाम रहे। तब तक राजशेखर को लगता था कि खेती-किसानी बेकार का काम है। इसमें कोई लाभ नहीं। राजशेखर के पिता के पास 30 एकड़ खेती थी। जब राजशेखर हर जगह से निराश हो गए, तो रालेगण सिद्धि गांव जाकर अन्ना हजारे के साथ जुड़ गए। अन्ना ने उन्हें मिट्टी और पानी के सरंक्षण में लगा दिया। एक दिन पिता की बीमारी की खबर मिली, तो राजशेखर को गांव लौटना पड़ा। बस, यहीं से उनकी जिंदगी में टर्निंग पॉइंट आया। आज वे अपनी पुश्तैनी खेती में बांस उगाते हैं। इनका सालाना टर्न ओवर 5 करोड़ रुपए के आसपास है।