बचपन में ठान लिया IAS अफसर बन करूंगा देश की सेवा, आदिवासी लोगों के लिए काम कर बन गया मिसाल

नई दिल्ली. सिविल सर्विस में जाना देश और समाज की सेवा के लिए तैनात होना है। अफसर बनने के बाद लोग जनता की मदद के सिपाही बन जाते हैं। उनके एक सिग्रनेचर और ऑर्डर से गरीबों की जिंदगी रोशन हो जाती है। इस बात के महत्व को समझ एक लड़के ने अफसर बनने की ठानी। जब वो अफसर बन गया तो आदिवासी इलाके में बच्चों को हाई-टेक शिक्षा मुहैया करवाई। हम बात कर रहे हैं आईएएस अफसर लोकेश जाटव की। लोकेश ने जंगलों में रहने वालों बच्चों के लिए इंजीनियरिंग जैसी पढ़ाई के फॉर्म मुफ्त भरवाए। IAS सक्सेज स्टोरी में हम आपको जेंटलमैन अफसर लोकेश जाटव के संघर्ष और शानदार प्रयासों की कहानी सुना रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 19, 2020 1:30 PM IST / Updated: Mar 19 2020, 08:23 PM IST
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बचपन में ठान लिया IAS अफसर बन करूंगा देश की सेवा, आदिवासी लोगों के लिए काम कर बन गया मिसाल
कहते हैं न, 'जहां चाह होती है वहां राह होती है' इसी बात को लोकेश जाटव ने सार्थक किया है। उन्होंने देश में बनी उस धारणा को तोड़ दिया है जिसमें लोग कहते थे सरकारी स्कूल और सरकारी योजना के तहत बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिलती है। लोकेश ने जो योजना शुरू की है, उसके तहत अब तक आदिवासी इलाके के करीब 100 छात्र-छात्राएं आईआईटी-जेईई और एआईपीएमटी जैसी कठिन परीक्षाओं को आसानी से क्रैक कर चुके हैं।
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इंदौर के कलेक्टर जाटव मूलतः मुरैना जिले के रहने वाले हैं। जाटव के पिता पिता सेवानिवृत्‍त इनकम टैक्स अधिकारी हैं। पिता की लाइफ स्टाइल देखकर ही सोच लिया था कि मैं भी IAS अफसर ही बनूंगा। कॉलेज खत्म होने से पहले ही मैंने सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी थी। बता दें कि लोकेश 23 साल की उम्र में एक युवा IAS अफसर बने थे। लोकेश 2004 बैच के आईएएस अफसर हैं।
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लोकेश 100 कलाम योजना के कारण ज्यादा चर्चा में रहे हैं। मात्र 13-14 साल के कार्यकाल में उन्होंने डिंडोरी (मात्र सात दिन), राजगढ़, नीमच, मंडला और रायसेन में कलेक्टरी की। इंदौर उनका छठा जिला रहा है। लोकेश को उनके बेहतरीन कार्यों के लिए जाना जाता है।
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उन्होंने मध्य प्रदेश के मंडला जिले में बतौर कलेक्टर अभूतपूर्ण काम किए। इस दौरान उन्होंने एक प्रोजेक्ट के तहत आईआईटी-जेईई और एआईपीएमटी जैसी अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए 580 गरीब छात्र-छात्राओं को निशुल्क फॉर्म भरवाया था।
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साथ ही उन छात्र-छात्राओं को जिला प्रशासन की ओर से नि:शुल्क कोचिंग, वर्चुअल क्लासेस सहित तमाम सुविधाएं मुहैया कराई थीं। तब आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों ने चंदा जुटाकर गरीब छात्र-छात्राओं की परीक्षा फीस भरी थी।
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लोकेश ने इस योजना का नाम दिवंगत राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की याद में प्रोजेक्ट 100 कलाम रखा था। जिले के 100 गरीब छात्रों को कलाम बनाने का जज्बा लिए इस पहल की नींव रखी गई थी। साल 2016 में पहली बार इस पहल की वजह से ही 26 छात्रों का AIPMT में चयन हुआ था। साल 2019 में 63 छात्र-छात्राओं ने आईआईटी-जेईई परीक्षा को क्रैक किया था। परीक्षा में सफल सभी छात्र सरकारी स्कूल से थे।
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जाटव को जेंटलमैन और होशियार अधिकारी के रूप में जाना जाता है। सरकारी कामकाज में तकनीक का उपयोग करने में वह माहिर हैं। उन्हें ई गवर्नेंस अवॉर्ड भी मिल चुका है। उन्होंने कृषि क्षेत्र के साथ स्कूली शिक्षा में काफी काम किए हैं। उनका एक ही लक्ष्य है अपने देश को मजबूत बनाना और देश की सेवा करना।
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