पत्थरबाजों के बीच लिया देशसेवा का प्रण....फतवा निकलने पर भी ये जिद्दी मुस्लिम लड़की बनी पायलट

श्रीनगर. कश्मीर को धरती का स्वर्ग या जन्नत कहा जाता है। जम्मू और कश्मीर भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से भी एक है। पर अक्सर होने वाले हमले और आतंकवाद की घटनाएं बढ़ने से यहां के पर्यटन में भारी गिरावट आई है। गिरते पर्यटन और बढ़ते आतंकवाद के बीच जम्मू-कश्मीर के विकास की गति थम सी गयी है। यहां के युवा फ्रस्ट्रेशन में पत्थरबाज बन गए हैं वो सेना पर पत्थर मारते हैं। महिलाएं भी इसमें पीछे नहीं। यहां खासकर महिलाओं की पढ़ाई को तो कम ही तरजीह दी जति है। जो पढ़ने को कहे उसके लिए फतवे निकल जाते हैं। पर एक जिद्दी लड़की ने पायलट बनने की ठानी और उसे पूरा भी किया। सामाजिक बेड़ियों में इतना दम कहां जो महिलाओं के हौसले के रोक दे। दूसरे राज्यों की तरह आज कश्मीर की बेटियां भी अपनें पंख फैला रही हैं। इसी कड़ी में हम आज कश्मीर की एक ऐसे बेटी की बात करने जा रहे हैं जिन्होंने कश्मीर की पहली मुस्लिम महिला पायलट बनकर मिसाल पेश की। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 14, 2020 7:31 AM IST / Updated: Apr 14 2020, 01:21 PM IST

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पत्थरबाजों के बीच लिया देशसेवा का प्रण....फतवा निकलने पर भी ये जिद्दी मुस्लिम लड़की बनी पायलट
इनका नाम है इरम हबीब। श्रीनगर के डाउनटाउन की रहने वाली इरन हबीब कश्मीर की पहली मुस्लिम महिला कमर्शियल पायलट बनीं। आपको बता दें कि इरम से पहले तनवी रैना, जो कि एक कश्मीरी पंडित हैं, वो एयर इंडिया ज्वाइन कर चुकी हैं। इस हिसाब से 2016 में पायलट बनी तनवी कश्मीर की पहली महिला पायलट हैं और अब इरम दूसरी।
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पर अगर मुस्लिम महिलाओं के लिहाज से बात करें तो इरम राज्य की पहली मुस्लिम महिला पायलट बनी हैं। इरम को अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद देश की दो बड़ी एयरलाइन कंपनियों इंडिगो और गो एयर की तरफ से नौकरी का ऑफर भी मिल गया है।
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हालांकि इरम हबीब के बचपन के हवा में उड़ने का सपना पूरा होना आसान काम नहीं था। कट्टरपंथी कश्मीरी समुदाय के बीच से खुद को साबित करने का साहस रखने के साथ ही इरम को इसे साबित करने के लिए कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यहां तक की इरम ने अपने पायलट बनने के सपने को पूरा करने के लिए पीएचडी पूरी करने का ईरादा भी छोड़ दिया।
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इरम के पिता हबीबुल्ला जारगर कश्‍मीर के सरकारी अस्‍पतालों में सर्जिकल सामानों की सप्लाय करते हैं। इरम जब 12वीं कक्षा में थीं, तब उन्होंने पायलट बनने की इच्छा सबके सामने रखी थी। हबीब के फैसले से उस वक्त बहुत से लोगों ने असहमति भी जताई थी। उस वक्त उनके परिवार वाले व लोगों का कहना था कि कोई भी कश्मीरी लड़की कभी भी पायलट नहीं बन सकती।
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इरम हबीब लगातार छह सालों तक अपने माता-पिता को अपने फैसले से सहमत होने के लिए मनाती रहीं।आखिरकार काफी प्रयास के बाद उनके माता पिता राजी हुए थे। इरम ने देहरादून से फॉरेट्री में स्नातक और बाद में शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
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पीएचडी की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर वे अमेरिका के मियामी स्थित फ्लाइंग स्कूल से पायलट की ट्रेनिंग लेने चली गईं। इरम ने अमेरिका के मयामी से साल 2016 में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद दिल्ली में कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस लेने क्लास भी लीं। उनके पास 260 घंटों की उड़ान का अनुभव है। इरम ने बहरीन विमानों में शुमार एयरबस-320 में उड़ाने की भी ट्रेनिंग ली। इरम गो एयर के विमान उड़ाना चाहती हैं।
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आज जब किसी को पता चलता कि वह कश्मीरी मुस्लिम हैं और विमान उड़ाती हैं, तो वो हैरान हो जाता है। इरम में मां-बाप आज उनपर गर्व महसूस कर रहे हैं क्योंकि इरम हबीब अब कश्मीर की पहली ऐसी मुस्लिम महिला बनने जा रही है जो विमान उड़ाएगी। इरम नें ना सिर्फ जिद से अपने सपने को पूरा किया बल्कि वे आज कश्मीर की हज़ारों मुस्लिम युवतियों के लिए नई प्रेरणा बन कर भी उभरी हैं।
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