कुंजंबु कहते हैं, “जब मैंने सुरंग प्रणाली को विकसित करना शुरू किया था, तो यह उस वक्त हमारे जीवन का एक जरूरी हिस्सा था, खासकर कृषि उद्देश्यों के लिए। लेकिन, समय के साथ, बोरवेल पंप का चलन बढ़ गया और सुरंग खोदने का काम कम हो गया।”
कुंजंबु कहते हैं, “बोरवेल संस्कृति, हमारी प्रकृति के लिए काफी हानिकारक है। जब आप बोरवेल की खुदाई करते हैं, तो आप धरती के दिल पर प्रहार करते हैं। इससे आज भूजल संकट का खतरा बढ़ गया है। साथ ही, इससे भूकंप का खतरा भी बढ़ा है, क्योंकि इससे प्राकृतिक नियमों में बाधा हो रही है।”
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