'सिविल सेवा में 4th रैंक टॉपर थे देशभक्त नेताजी', 11 बार जेल भेजे गए सुभाष चंद्र बोस से जुड़े 10 Rare फैक्ट्स

करियर डेस्क. Parakram Diwas 2021: "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा" जब-जब कोई भारतवासी ये नारा सुनता है उसकी रगों में क्रांति की ज्वाला दौड़ने लगती है। और दिल-ओ दिमाग में बस एक ही नाम गूंजा है नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subash Chandra Bose) का। देश की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज बनाने वाले और दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले सुभाष चंद्र बोस की आज 125वीं जयंती है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल हैं। उनके जन्मदिवस को मोदी सरकार ने पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) के रूप में मनाने की घोषणा की है। आज से 23 जनवरी को हर साल पराक्रम दिवस मनाया जाएगा। आज हम नेताजी के जीवन से जुड़ी अनसुनी और खास बातें बता रहे हैं-  

Asianet News Hindi | Published : Jan 23, 2021 7:34 AM IST / Updated: Jan 23 2021, 04:47 PM IST
116
'सिविल सेवा में 4th रैंक टॉपर थे देशभक्त नेताजी', 11 बार जेल भेजे गए सुभाष चंद्र बोस से जुड़े 10 Rare फैक्ट्स

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ। बोस के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था। उनके पिता कटक शहर के मशहूर वकील थे। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की 14 संतानें थी, जिसमें 6 बेटियां और 8 बेटे थे। सुभाष चंद्र उनकी 9वीं संतान और 5वें बेटे थे। 

216

नेताजी उनके बचपन के दिनों से ही एक विलक्षण छात्र थे, और राष्ट्रप्रेमी भी। 1913 के मैट्रिक एग्जाम में दूसरी पोजिशन पर रहे। नेताजी की प्रारंभिक पढ़ाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई। इसके बाद उनकी शिक्षा कोलकाता के प्रेजीडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से हुई। 

316

ग्रेजुएशन करने के बाद वह पिताजी से किया वादा पूरा करने के लिए इंग्लैंड चले गए। इसके बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा (इंडियन सिविल सर्विस) की तैयारी के लिए उनके माता-पिता ने बोस को इंग्लैंड के केंब्रिज विश्वविद्यालय भेज दिया। 

416

1920 में उन्होंने इंग्लैंड में सिविल सर्विस परीक्षा पास की थी। इंडियन सिविल सर्विस एग्जाम में उनकी चौथी (4th) रैंक थी। लेकिन भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में हिस्सा लेने के लिए नेताजी ने सिविल सेवा की आरामदेह नौकरी ठुकरा दी। 
 

516

जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उन्हें इस कदर विचलित कर दिया कि, वे भारत की आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। फिर वह देश को आजाद कराने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए। 

616

नेताजी के कॉलेज के दिनों में एक अंग्रेजी शिक्षक के भारतीयों को लेकर आपत्तिजनक बयान पर उन्होंने खासा विरोध किया, जिसकी वजह से उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया था।

 

 

716

1921 से 1941 के बीच नेताजी को भारत के अलग-अलग जेलों में 11 बार कैद में रखा गया।

816

1941 में उन्हें एक घर में नजरबंद करके रखा गया था, जहां से वे भाग निकले। नेताजी कार से कोलकाता से गोमो के लिए निकल पड़े। वहां से वे ट्रेन से पेशावर के लिए चल पड़े। यहां से वह काबुल पहुंचे और फिर काबुल से जर्मनी रवाना हुए जहां उनकी मुलाकात अडॉल्फ हिटलर से हुई।

916

1943 में बर्लिन में रहते हुए नेताजी ने आजाद हिंद रेडियो और फ्री इंडिया सेंटर की स्थापना की थी।

1016

नेताजी सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी की कई बातों और विचारों से इत्तेफाक नहीं रखते थे, और इस पर उनका मानना था कि हिंसक प्रयास के बिना भारत को आजादी नहीं मिलेगी। नेताजी का ऐसा मानना था कि अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए सशक्त क्रांति की आवश्यकता है, तो वहीं गांधी अहिंसक आंदोलन में विश्वास करते हैं।

1116

साल 1938 में नेताजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय योजना आयोग का गठन किया। 1939 के कांग्रेस अधिवेशन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी के समर्थन से खड़े पट्टाभी सीतारमैया को हराकर विजय प्राप्त की। इस पर गांधी और बोस के बीच अनबन बढ़ गई, जिसके बाद नेताजी ने खुद ही कांग्रेस को छोड़ दिया। यूं तो महात्मा गांधी उनके कायल थे, उन्हें देशभक्तों का देशभक्त कहते थे।

1216

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने साल 1937 में अपनी सेक्रेटरी और ऑस्ट्रियन युवती एमिली से शादी की। दोनों की एक बेटी अनीता हुई, और वर्तमान में वो जर्मनी में अपने परिवार के साथ रहती हैं।

1316

अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए नेताजी ने 21 अक्टूबर 1943 को 'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना करते हुए 'आजाद हिंद फौज' का गठन किया। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा (अब म्यांमार) पहुंचे। यहां उन्होंने नारा दिया 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।'

1416

नेताजी के मौत की गुत्थी आज भी अनसुलझी है, और यहां तक कि भारत सरकार भी उनकी मौत के बारे में कुछ नहीं बोलना चाहती। नेताजी के मृत्यु की आज भी पुष्टि नहीं हो सकी है। उनकी  जिंदगी के कई साक्ष्य और बातें रूस और भारत में देखे-सुने गए हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि नेताजी साल 1985 तक जीवित रहे हैं। वह फैज़ाबाद के एक मंदिर में रहते थे।

1516

ऐसा माना जाता है कि नेताजी की मौत जापान में किसी हवाई दुर्घटना में हुई थी, मगर अब तक इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिल सका है। 17 मई, 2006 को पेश की गई जस्टिस मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट में कहा गया कि रंकजी मंदिर में पाई जाने वाली राख नेताजी की नहीं थी। हालांकि इस रिपोर्ट को भारत सरकार ने ठुकरा दिया, और यह मामला आज भी एक रहस्य ही है।

1616

2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी सौ गोपनीय फाइलों का डिजिटल संस्करण सार्वजनिक किया, ये दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार में मौजूद हैं।

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos