पूजा ने 4 साल तक एक आईटी कंपनी में काम किया। इसके साथ ही दिल्ली की टेरी यूनिवर्सिटी से रिन्युएबल एनर्जी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। यहीं पर उन्हें अप साइकिलिंग और रीसाइकिलिंग के बारे में पता चला। पूजा बताती हैं कि सिर्फ प्लास्टिक ही नहीं, टायर स्क्रैब भी पर्यावरण के खतरनाक होते हैं। बता दें कि दुनियाभर में हर साल 100 करोड़ स्क्रैप टायर निकलते हैं। इनमें से 0.1 प्रतिशत ही रीयूज या रिसाइकिल हो पाते हैं।