IAS अफसर बनकर ही राखी बंधवाने आउंगा, भाई ने पाया मुकाम तो हौसला देख बहन भी बन गई IPS अधिकारी

नई दिल्ली. सिविल सर्विस को देश के सबसे प्रतिष्ठित क्षेत्र में गिना जाता है। इसके लिए यूपीएससी के एग्जाम होते हैं जिन्हें पास करने के लिए मजबूत हौसले और इरादों की जरूरत होती है। अर्जुन की तरह आपको मछली आंख पर नजर रखनी होती है। दिन-रात पढ़ाई करके भी बच्चे सफल नहीं हो पाते। पर किया आपने सुना है कि एक ही फैमिली में चारों भाई-बहन IAS-IPS हों। जी हां सुनकर भले आपको यकीन न हो लेकिन ये सच है। एक ही परिवार में चारों भाई-बहन अधिकारी हैं। आज हम आपको उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के लालगंज के अधिकारी परिवार की कहानी सुनाने जा रहे हैं। बहन फेल क्या हो गई भाई ने ठान लिया कि, अब वो IAS अफसर बनकर ही उनसे राखी बंधवाने आएगा। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 7, 2020 4:51 AM IST
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IAS अफसर बनकर ही राखी बंधवाने आउंगा, भाई ने पाया मुकाम तो हौसला देख बहन भी बन गई IPS अधिकारी
ये कहानी है मिश्रा परिवार की जिसमें दो भाई और दो बहनों ने तीन साल के अंदर सिविल सर्विस एग्जाम क्लियर करके इतिहास रच दिया था। प्रतापगढ़ में रहने वाले अनिल मिश्रा बतौर मैनेजर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में काम करते थे। वे अपनी पत्नी कृष्णा मिश्रा और चार बच्चों योगेश, लोकेश, क्षमा और माधवी के साथ दो कमरों के घर में रहे। अनिल मिश्रा की एक ही तमन्ना थी कि उनके चारों बच्चे बड़े होकर उनका नाम रोशन करें। चारों बच्चे पढ़ाई में भी अच्छे थे। ऐसे में उन्होंने प्रतिष्ठित सिविल सेवा में जाने का फैसला लिया।
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चारों भाई-बहनों में से सबसे पहले योगेश ने 2013 में सिविल सर्विस एग्जाम क्लियर किया। इसके पीछे एक बहुत बड़ी घटना थी। सबसे बड़े भाई योगेश ने बताया, IAS होने से पहले वो सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे और नोएडा में काम करते थे। उस समय उनकी दोनों बहनें क्षमा-माधवी दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रही थीं। ''रक्षाबंधन के एक दिन पहले दोनों के एग्जाम का रिजल्ट आया और वो फेल हो गई थीं। उसके एक दिन बाद मैं राखी बंधवाने बहनों के पास गया और उनका हौसला बढ़ाया।''
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उसी दिन ठान लिया कि सबसे पहले खुद IAS बनकर दिखाऊंगा, जिससे अपने छोटे भाई-बहनों को प्रेरणा दे सकूं। मैं अगली बार बहनों से राखी बंधवाने आउंगा तो आईएएस बनकर ही। फिर मैंने तैयारी शुरू की और फर्स्ट अटेंप्ट में ही IAS बन गया। इसके बाद मैंने छोटे भाई-बहनों का मार्गदर्शन किया।'' योगेश रिजर्व लिस्ट में सीएसई 2013 में चुने गए थे उनकी सफलता ने तीनों भाई-बहनों के लिए प्रेरणा बनी।
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योगेश के बाद माधवी ने CSE 2014 with AIR 62 क्लियर किया। इस बीच, लोकेश ने सीएसई 2014 में रिजर्व लिस्ट में अपना नाम भी पाया हालांकि, उसे खुद पर भरोसा था और उसने इसे एक और शॉट देने का फैसला किया। चार भाई बहन में सबसे बड़े हैं योगेश मिश्रा, जो IAS हैं। कोलकाता में राष्ट्रीय तोप एवं गोला निर्माण में प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं।
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2nd नंबर पर हैं बहन क्षमा मिश्रा, जो IPS हैं। उन्होंने कर्नाटक में तैनाती मिली। 3rd नंबर पर हैं माधवी मिश्रा, जो झारखंड कैडर की IAS रही और केंद्र के विशेष प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में भी तैनात रहीं। 4th नंबर पर हैं लोकेश मिश्रा वो भी IAS बनकर परिवार का नाम रोशन कर चुके हैं।
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चारों भाई-बहनों की जिंदगी में संघर्ष भी कम नहीं रहा है। माधवी बताती हैं, चारों भाई-बहनों में उम्र का फर्क बहुत ज्यादा नहीं है। सभी एक-दूसरे से एक साल छोटे-बड़े हैं। वो एक साथ रहकर पढ़ाई करते और सिविल सर्विस की तैयारी करते थे। सिर्फ 2 कमरों का मकान था अगर कोई मेहमान आ गया तो सबसे ज्यादा दिक्कत होती थी। पर चारों-भाई बहनों ने मुश्किलों को हराकर अपना लक्ष्य पाया।
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पिता अनिल मिश्रा ने कहते हैं कि, उन्हें अपने बच्चों पर बहुत गर्व है, उनके चारों बच्चो में बहुत प्यार है। प्रशासनिक सेवा में रहने के दौरान भी वो रक्षाबंधन, होली आदि पर जरूर इकट्ठा होते हैं।
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पूरे गांव में इस अधिकारी परिवार का काफी बोलबाला है। हर कोई ये सुनकर हैरान हो जाता है कि, एक ही परिवार में चारों बच्चे अधिकारी हैं। लड़कियां पुलिस अफसर हैं तो बेटे IAS अफसर बन लोगों की सेवा कर रहे हैं।
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