2020 ऐतिहासिक दिन: 34 साल में बदली शिक्षा नीति, जान लें नई एजुकेशन पॉलिसी की ये 10 बड़ी बातें

करियर डेस्क.  दोस्तों साल 2020 भारत ही नहीं दुनिया के लिए ऐतिहासिक साल रहा है। कोरोना महामारी के कारण ये साल छुआछूत वाली बीमारी, करोड़ों मौतें और लॉकडाउन से अधिक चर्चा में रहा। हालांकि इस साल भारत सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं। ये साल ऐतिहासिक बदलावों को लेकर भी चर्चित रहा है। इसमें एक सबसे बड़ा बदलाव रहा है  34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति (New Education policy) का। केंद्र सरकार ने बुधवार 29 जुलाई को देश में नई शिक्षा नीति की घोषणा की, जिसके तहत प्राइमरी से लेकर यूनिवर्सिटी स्तर तक की शिक्षा में व्यापक बदलाव किए गए। साल 2020 का य आखिरी महीना है ऐसे में हम आपको साल के बड़े बदलाव और फैसले को रिमाइंडर दे रहे हैं। UPSC, रेलवे, SSC के छात्रों के लिए नई शिक्षा नीति से जुड़ी 10 बड़ी बातें काम आएंगी- 

Asianet News Hindi | Published : Dec 8, 2020 9:23 AM IST / Updated: Dec 12 2020, 07:30 PM IST

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2020 ऐतिहासिक दिन: 34 साल में बदली शिक्षा नीति, जान लें नई एजुकेशन पॉलिसी की ये 10 बड़ी बातें

नई शिक्षा नीति के साथ देश में शिक्षा का जिम्मेदारी संभाल रहे मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर भी शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया। नई शिक्षा नीति को व्यावहारिकता और कौशल विकास पर जोर दिया गया है। 

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1. देश की शिक्षा नीति में ये बदलाव करीब पेश किया गया है। इसमें प्राइमरी स्तर पर मातृ भाषा में शिक्षा का प्रावधान किया गया है। 5 वीं कक्षा तक मातृभाषा शिक्षा का एक माध्यम बनाया जाए। नई नीति स्कूलों और एचईएस दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है। राष्ट्रीय पाली संस्थान, फारसी और प्राकृत, भारतीय अनुवाद संस्थान और व्याख्या की स्थापना की जाएगी। 

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2 अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है। इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 व कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा।

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3.  इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12) इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं।

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4. बोर्ड परीक्षाएं मॉड्यूलर रूप में हो सकती हैं, अब बोर्ड परीक्षा रट्टा मारकर याद रखने वाले सिद्धांत को हतोत्साहित करते हुए ज्ञान और योग्यता आधारित होंगी।

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5. मल्टिपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी।

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6. सभी उच्च शिक्षा संस्थानों, कानूनी और मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर, एकल नियामक यानी सिंगल रेगुलेटर द्वारा होगी। नई शिक्षा नीति में प्राइवेट यूनिवर्सिटी और गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी के नियम अब एक होंगे। अब किसी भी डीम्ड यूनिवर्सिटी और सरकारी यूनिवर्सिटी के नियम अलग अलग नहीं होंगे।

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7. ग्रेजुएशन स्तर पर डिग्री कोर्स को 4 साल तक का कर दिया गया है।  ग्रेजुएट कोर्स में अब 1 साल पर सर्टिफिकेट, 2 साल पर डिप्लोमा, 3 साल पर डिग्री मिलेगी। अब कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल दोनों की होगी। 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं करना है।

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8. अब छात्रों को MPHIL नहीं करना होगा। MA के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे। MPHIL को खत्म कर दिया गया है। 

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9.  नई शिक्षा नीति के अनुसार विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली आम प्रवेश परीक्षा होगी। ये परीक्षा एनटीए यानी नेशनल टेस्ट‍िंग एजेंसी कराएगी।

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10. अब कक्षा छठीं से ही छात्रों को कोडिंग भी पढ़ाई जाएगी, जो कि स्कूली शिक्षा पूरी करने तक उनके कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) में मदद करेगी। 

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