छत्तीसगढ़ में मिला अनोखा रंगीन चमगादड़ः विलुप्त प्रजाति का है ये जीव, पूरे देश में दिखा 3 बार, देखें तस्वीरें

बस्तर (bastar). छत्तीसगढ़ के बस्तर शहर में स्थित कांगेर नेशनल पार्क अपनी अलग अलग प्रजातियों के जीव, जंतुओं और वनस्पतियों के लिए जाना जाता है। प्राकृतिक सुंदरता के साथ साथ ये नेशनल पार्क ऐसे जीवों के रहने का ठिकाना भी है। दरअसल यहां पर एक अनोखा जीव देखने को मिला है। असल में ये एक अनोखे प्रकार का चमगादड़ है, जिसे पूरे विश्व में विलुप्त प्राय या खो जाने वाली प्रजाति के रूप में  रखा गया है। इसे देखने पर ऐसा लगता है जैसे किसी ने इसे किसी पेंटर ने बेहद कलाकारी से रंगा हो। इसके देखने के बाद से ही यह नेशनल पार्क के कर्मचारियों के लिए आकर्षण का केद्र बना हुआ है। देखिए अनोखे जीव की कुछ तस्वीरें

Asianet News Hindi | Published : Jan 16, 2023 11:47 AM IST / Updated: Jan 16 2023, 05:19 PM IST
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छत्तीसगढ़ में मिला अनोखा रंगीन चमगादड़ः विलुप्त प्रजाति का है ये जीव, पूरे देश में दिखा 3 बार, देखें तस्वीरें

ऑरेंज और काले रंग वाले इस चमगादड़ का वैज्ञानिक नाम केरीवोला पिक्टा है। अपने इस अनोखे कलर पैटर्न के कारण इस स्तनधारी जीव को कलर बैट या बटरफ्लाई चमगादड़ भी कहते हैं।

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कांगेर वैली नेशनल पार्क के निदेशक धम्मशील गणवीर ने जानकारी देते हुए बताया की पूरे देश में बेट्स की 131 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है। इसमें से 20 प्रकार के स्पीसीज तो अकेले इस नेशनल पार्क में देखी गई है, जिसमें पेंटेड बैट भी है।

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कांगेर नेशनल पार्क में यह जीव घने इलाके में एक पेड़ में घोसला बना के रह रहा था। जानकारी में पता चला कि ये सूखे केलों के पौधो के नीचे घोंसला बनाते है। साथ ही इसके 38 दांत है  और वजन मात्र 5 ग्राम है।

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बस्तर के इस नेशनल पार्क ( kanger national park) में मिलने वाले दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों के अलावा वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन के लिए  विभाग लगातार प्रयास कर रहा है ताकि इन जीवें की संख्या को बढ़ाया जा सके।

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बर्ड्स पर रिसर्च कर रहे हैं वैज्ञानिकों की हेल्प लेकर यह जानने की कोशिश की जा रही है कि इन चमगादड़ों को किस तरह का माहौल पसंद है। ये किस तरह का खाना खाते है।

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जानकारी हो कि बेट्स की यह प्रजाति भारत, चीन के साथ कुछ ही  एशियाई देशों में देखने को मिलती है। इसके साथ ही भारत में भी सिर्फ तीसरी बार देखने को मिली है। इससे पहले यह महाराष्ट्र और उड़ीसा में देखने को मिली थी।

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