क्यों अलग-अलग थी शेन वार्न की दोनों आंखें, एक का रंग था नीला तो दूसरी थी हरी, जानें क्या है कारण

हेल्थ डेस्क. ऑस्ट्रेलिया के महान खिलाड़ी और क्रिकेट के दिग्गज शेन वार्न (Shane Warne ) का 52 साल की उम्र में निधन हो गया है। उनकी मौत हार्ट अटैक के कारण हुई। शेन वॉर्न थाईलैंड में अपने विला में मौजूद थे और उन्हें वहां अचेत पाया गया।  शेन वार्न एक एक बेहतरीन लेग स्पिनर थे जिसने क्रिकेट को बहुत कुछ दिया। उनके नाम कई रिकॉर्ड हैं। शेन वॉर्न का जन्म ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में 13 सितंबर 1969 को हुआ था। उनकी मां जर्मन थीं। शेन वॉर्न ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सभी प्रारूपों को मिलाकर 1001 विकेट झटके थे। आपने अगर वार्न को मैदान में खेलते हुए देखा होगा तो एक चीच जरूरी नोटिस की होगी। उनकी आंखें। शेन वार्न की दोनों आंखों का रंग अलग-अलग था। आइए जानते हैं ऐसा क्यों था। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 5, 2022 8:27 AM IST
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क्यों अलग-अलग थी शेन वार्न की दोनों आंखें, एक का रंग था नीला तो दूसरी थी हरी, जानें क्या है कारण

 
क्यों अलग-अलग थी दोनों आंखें
इस महान क्रिकेटर की एक आंख नीली थी और एक आंख हरी। दरअसल ऐसा हीट्रोक्रोमिया की वजह से था, जिसमें दोनों आंखों का रंग एक सा नहीं रहता। सोशल मीडिया में एक पोस्ट करते हुए वॉर्न ने खुलासा किया था कि उनकी दोनों आंखों के रंग अलग-अलग इसलिए हैं क्योंकि वो हेट्रोक्रोमिया के शिकार हैं। हेट्रोक्रोमिया का असर उनकी त्वचा और बालों पर भी पड़ रहा था। 

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क्या है  हेट्रोक्रोमिया
हमारी आंखों की पुतलियों को मेलेनिन नामक पिगमेंट की सहायता से रंग मिलता है। इसी के कारण आंखों का रंग नीला, हरा, भूरा आदि हो सकता है। मेलेनिन की कमी के कारण आंखों का रंग हल्का, जबकि अधिकता के कारण आंखों का रंग गहरा दिखाई देता है। आंखों के रंग का अलग-अलग होना ही हेट्रोक्रोमिया का प्रमुख लक्षण होता है। यदि व्यक्ति में किसी प्रकार के अंतर्निहित कारणों का निदान होता है तो उसमें उस रोग के आधार पर लक्षण नजर आ सकते हैं।
 

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 क्या है इसका कारण
हेट्रोक्रोमिया के ज्यादातर मामले जन्मजात होते हैं। इस तरह के हेट्रोक्रोमिया को जेनेटिक हेट्रोक्रोमिया के नाम से जाना जाता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक मनुष्यों में हेट्रोक्रोमिया के अधिकांश मामले साधारण और बिना किसी अंतर्निहित असामान्यता के दिखाई देते हैं।
 

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 1992 में शुरू किया था करियर
शेन वार्न ने 1992 में अपने टेस्ट करियर का आगाज भारत के खिलाफ किया था। जबकि वनडे क्रिकेट में 24 मार्च 1993 को न्यूजीलैंड के खिलाफ डेब्यू किया। वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मुथैया मुरलीथरन के अलावा 1000 विकेट लेने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं। शेन वॉर्न ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सभी प्रारूपों को मिलाकर 1001 विकेट झटके थे। साल 2013 में शेन वॉर्न को आईसीसी क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था जबकि उसके पिछले साल यानी 2012 में उनको क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी अपने हॉल ऑफ फेम में जगह दी थी।

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बॉल ऑफ द सेंचुरी' से चकमा खा गए थे गेटिंग 
इंग्लैंड के दिग्गज बल्लेबाज माइक गेटिंग को वर्ष 1993 में शेन वॉर्न द्वारा फेंकी गई गेंद को 'बॉल ऑफ द सेंचुरी' माना जाता है। मैनचेस्टर में एशेज सीरजी के दौरान लेग स्पिनर द्वारा फेंकी गई इस गेंद ने विकेट पर पड़ने के बाद ऐसा टर्न लिया था कि बल्लेबाज से लेकर विकेटकीपर तक सब हैरान रह गए थे। आज तक उस गेंद की चर्चा होती है और क्रिकेट के जानकार उसे अद्भुत करार देते हैं। 

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