त्रिदेवों का स्वरूप है ये मूर्ति
मंदिर के पुजारी धीरेंद्र चौबे का कहना है कि यहां पर भगवान श्रीकृष्ण त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के स्वरूप में विराजमान हैं। श्री बंशीधरजी, शिवजी की तरह जटाधारी हैं, विष्णुजी की तरह शेषनाग की शैय्या और कमल के पुष्प पर विराजे हैं। कमल का पुष्प की आसन भगवान ब्रह्माजी जी की है। इस तरह इस मूर्ति में ब्रह्मा, विष्णु और महेश, तीनों देवता समाए हुए हैं।