World Civil Defense Day: अबॉर्शन करवाने से लेकर लिव-इन में रहने तक, हर महिला को पता होना चाहिए ये 10 कानून

लाइफस्टाइल डेस्क: हर साल 1 मार्च को दुनिया भर में विश्व नागरिक सुरक्षा दिवस (World Civil Defense Day 2022) मनाया जाता है। विश्व नागरिक सुरक्षा दिवस का उद्देश्य लोगों को नागरिक सुरक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूक करना और नागरिकों को बचाव और आत्म-सुरक्षा के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है। हमारे देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठाए जाते है, लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए कई कानून बनाए गए है, जो कम ही महिलाओं को पता होते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं, ऐसे 10 कानून (10 important woman law), जो हर लड़की या महिला का जानना जरूरी है...

Asianet News Hindi | Published : Mar 1, 2022 2:30 AM IST / Updated: Mar 01 2022, 08:16 AM IST
110
World Civil Defense Day: अबॉर्शन करवाने से लेकर लिव-इन में रहने तक, हर महिला को पता होना चाहिए ये 10 कानून

जीरो एफआईआर
जीरो एफआईआर या प्राथमिक सूचना किसी भी थाने में दर्ज कराई जा सकती है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में इसे पुलिस स्टेशन के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के बाहर "शून्य प्राथमिकी" के रूप में दर्ज किया जा गया है। कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि किसी स्थान पर किसी व्यक्ति के साथ अपराध हो गया हो और उसके बाद व्यक्ति शिकायत दर्ज कराना चाहता हो, ऐसे में यह जीरो एफआईआर किसी भी नजदीकी पुलिस थाने में दर्ज करवा सकता है। 

210

महिलाओं को वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए कानून
जिस जगह महिलाएं काम करती है, वहां अगर वह यौन उत्पीड़न का शिकार होती है, तो उनके लिए (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 के तहत कार्यस्थल पर विभिन्न सुरक्षा और अधिकार दिए जाते है। यदि कोई महिला 10 से अधिक कर्मचारियों वाले संगठन में काम कर रही है, तो कार्यालय में एक आंतरिक शिकायत समिति होती है जिससे वह कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न या उसके साथ हुई ऐसी किसी भी घटना के खिलाफ संपर्क कर सकती है। 

310

महिलाओं को गर्भपात का अधिकार
अबॉर्शन का अधिकार भारत में हर महिला के लिए उपलब्ध है। गर्भपात से संबंधित इस अधिकार का प्रयोग महिलाएं यदि चाहें तो कर सकती हैं। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 2020 में प्रावधान है कि यदि महिला 12 सप्ताह तक गर्भवती है तो 1 डॉक्टर के परामर्श से और 12 सप्ताह से अधिक और 20 सप्ताह तक की गर्भावस्था के मामले में गर्भपात के लिए दो डॉक्टरों की राय के साथ अबॉर्शन करवा सकती है। 

ये भी पढ़ें...Mahashivratri 2022: झारखंड के इस स्थान को कहते हैं देवताओं का घर, यहां है रावण द्वारा स्थापित ज्योतिर्लिंग

Mahashivratri 2022: त्रिदेवों का प्रतीक है ये ज्योतिर्लिंग, दक्षिण की गंगा कही जाती है यहां बहने वाली ये नदी

Mahashivratri 2022: इस ज्योतिर्लिंग के शिखरों में लगा था 22 टन सोना, स्वयं महादेव करते हैं इस नगर की रक्षा

410

बच्चे पैदा करने से लेकर गोद लेने तक मेटरनिटी लीव
भारत में हर महिला को लगभग 26 सप्ताह के लिए मातृत्व अवकाश या मेटरनिटी लीव लेने का अधिकार है। यह अधिकार मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट के तहत उपलब्ध है। यदि आप एक बच्चे को गोद ले रहे हैं तो भी इस अधिकार का प्रयोग किया जा सकता है। बच्चे को गोद लेने के मामले में, आप अपने काम से 12 हफ्ते की मेटरनिटी लीव से सकते हैं।

510

बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006
आज भी हमारे देश में कई जगह लड़कियों को बहुत कम उम्र में शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है। जिसके कारण 2006 में बाल विवाह एक्ट बनाया गया। इसके तहत अगर दूल्हा 21 वर्ष से कम उम्र का है और दुल्हन की आयु 18 वर्ष से कम है तो यह शादी बाल विवाह अधिनियम के तहत आएगी। 

610

घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार को ना कहने का अधिकार, 2005
घरेलू हिंसा से संबंधित यह कानून न केवल उस स्थिति में लागू होता है जब आप विवाहित हैं, बल्कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के लिए भी उपलब्ध हैं। घरेलू हिंसा में शारीरिक शोषण, आर्थिक हिंसा और यौन हिंसा, मौखिक दुर्व्यवहार और मानसिक शोषण शामिल हैं। 
 

710

महिलाओं को सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता
किसी पुरुष पुलिस अधिकारी को आपके शरीर को छूने या आपको हिरासत में लेने के लिए मजबूर करने का अधिकार नहीं है। सीआरपीसी की धारा 46 (4) में प्रावधान है कि किसी महिला को सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, लेकिन कठोर अपराधियों के मामले में, एक महिला पुलिस अधिकारी न्यायिक मजिस्ट्रेट से महिला की गिरफ्तारी का आदेश ले उसे गिरफ्तार कर सकती है।

810

महिलाओं को स्टॉक, साइबर बुलिंग करने का कानून
महिला को स्टॉक करना (धारा 354डी आईपीसी), साइबर धमकी या जब कोई महिला अपराध की शिकार होती है, जहां व्यक्ति उसको कोई परेशान करने की कोशिश करता है (धारा 354 आईपीसी) के मामले में अपराधी को दंडित करने का अधिकार है। महिला के पास कानूनी कार्रवाई करने और कानून की अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार होता है।

910

महिलाओं की पहचान की सुरक्षा
यदि आप यौन उत्पीड़न, बलात्कार आदि की शिकार है, तो भारतीय कानून महिला के नाम को उजागर होने से बचाता है। आईपीसी की धारा 228 A के तहत महिला की सहमति के बिना उसकी पहचान का खुलासा करने का अधिकार नहीं है। 

1010

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम
आमतौर पर देखा जाता है कि लड़के ही माता-पिता या अपनी पैतृक संपत्ति के हकदार होते है, जबकि, 2005 में आए इस अधिनियम में देश की महिलाओं को यह हक दिया है कि अगर कोई वसीयत नहीं बनाई गई है तो अपनी पैतृक संपत्ति पर वो समान अधिकार रखती हैं।

ये भी पढ़ें- Zero Discrimination Day: वर्जिन से संबंध बनाने से खत्म हो जाता है AIDS! दुनिया में फैली है ऐसी 7 भ्रांतियां

Shivratri 2022: शिवजी को प्रसन्न करने के साथ ही दिखना है सबसे अलग, तो इस शिवरात्रि पहनें ये कलर्स और आउटफिट
 

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos