मां ने कहा है कि जाओ जल्दी गेहूं समेट लाओ..इससे छोटे भाई-बहनों के लिए रोटियां बन जाएंगी

भोपाल, मध्य प्रदेश. कोरोना संक्रमण को रोकने लॉकडाउन का निर्णय सही था, लेकिन ये तस्वीरें सरकारों की बदइंतजामी और नाकामी को दिखाती हैं। ये तस्वीरें बताती हैं कि इन गरीबों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। भले ही इन्हें भोजन मुहैया कराने सरकारें और स्वयंसेवी संगठन आगे आए, लेकिन यह व्यवस्था आधी-अधूरी ही साबित हुई। कई जगहें गरीबों को तीन-तीन टाइम भोजन मिल रहा, तो कई जगह गरीबों को एक वक्त की रोटी के लिए भी लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा है। यह तस्वीर मध्य प्रदेश के उज्जैन की है। उज्जैन में कोरोना संक्रमण तेजी से फैला है। यहां लॉकडाउन में सख्ती बरती जा रही, लेकिन इन जैसे गरीबों के खाने बाबत पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। वर्ना एक मासूम बच्ची चिलचिलाती धूप में सड़क पर पड़े गेहूं के दाने बीनने क्यों आती?

Asianet News Hindi | Published : May 5, 2020 4:19 AM IST
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मां ने कहा है कि जाओ जल्दी गेहूं समेट लाओ..इससे छोटे भाई-बहनों के लिए रोटियां बन जाएंगी

यह है 10 साल की आरती। 40 डिग्री से ऊपर तपती सड़क से गेहूं के दाने बीनती यह लड़की देश में गरीबों की स्थिति को दिखाती है। इस समय गेहूं की खरीदी चल रही है। कोई गाड़ी यहां से निकली होगी, जिससे गेहूं के दाने बिखर गए होंगे। आरती पास ही किसी झोपड़ी में रहती है। उसकी मां ने सड़क पर गेहूं बिखरे देखे, तो उसने बेटी को दौड़ दिया। कहा कि वो दाने बीन लाए। इससे पीसकर वो उसके और छोटे भाई-बहन के लिए रोटियां बना देगी। यह मामला उज्जैन के सेंटपॉल स्कूल मार्ग का है। यह तस्वीर सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े करती है।

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यह तस्वीर नोएडा की है। ये भगदड़ के बाद बिखरे पड़े जूते-चप्पल नहीं है। बल्कि ये गवाही दे रहे हैं कि यहां शेल्टर होम में जानवरों की तरह लोगों को रहना पड़ रहा है।

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यह तस्वीर महाराष्ट्र के ठाणे की है। यह विकलांग युवक पैदल ही अपने घर की ओर निकल पड़ा।
 

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यह तस्वीर कोलकाता है। पांव में जख्म होने के बावजूद यह शख्स घंटों लाइन में खड़ा रहा। सवाल, भूख का था।

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यह तस्वीर ठाणे की है। खेलने-कूदने की उम्र में बच्चों को सिर पर बोझ रखकर पैदल अपने घरों की ओर जाते देखा गया।

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यह तस्वीर महाराष्ट्र के ठाणे की है। लॉकडाउन में फंसे मजदूर परिवारों को रहने की छोड़िए..खाने तक की दिक्कत हो रही है।

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यह तस्वीर कोलकाता की है। खाना लेत समय बच्चे की आंखों में उदासी साफ पढ़ी जा सकती थी। शायद उसे हाथ फैलाकर खाना लेना अच्छा नहीं लग रहा था।

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यह तस्वीर महाराष्ट्र के ठाणे की है। लॉकडाउन में फंसे ये मजदूर उम्मीद कर रहे कि जल्द सबकुछ ठीक हो जाए।

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यह तस्वीर कोलकाता है। एक-दूसरे का सहारा बनकर खाना लेने पहुंचे बुजुर्ग।
 

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