अमरनाथ यात्रा: दिल दहलाने वाले हादसे में भी सेना का साहस देखने लायक, जान हथेली पर लेकर ड्यूटी पर डटे हैं

जम्मू. अमरनाथ की पवित्र गुफा के पास 8 जुलाई को बादल फटने(cloudburst near the holy cave shrine of Amarnath) से आई बाढ़ में अब भी 40 लोग लापता बताए जाते हैं। इस हादसे में प्रशासन ने 16 लोगों की मौत की पुष्टि की है। इस प्राकृतिक आपदा के चलते अमरनाथ यात्रा को रोक दिया गया था, जिसे 11 जुलाई को फिर से शुरू कर दिया। जम्मू की डिप्टी कमिश्नर अवनी लवासा ने बताया कि 11 जुलाई से सभी रजिस्टर्ड यात्रियों को भगवती नगर बेस कैम्प पहुंचने को कहा गया था। दक्षिण कश्मीर हिमालय में स्थित 3,880 मीटर ऊंचे गुफा मंदिर के बेस कैम्पों के लिए 4,000 से अधिक तीर्थयात्रियों का एक और जत्था रवाना होने से पहले मौसम खराब हो गया था, जिससे यात्रा रोकनी पड़ी थी। एक दिन के लिए स्थगित रहने के बाद सोमवार को अमरनाथ यात्रा फिर से शुरू हो गई। इस दौरान नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स(NDRF) और आर्मी के अलावा अन्य रेस्क्यू टीम लगातार मलबे और पहाड़ियों के नीचे लापता लोगों की तलाश कर रही है। सेना बीमार लोगों की मदद कर रही है, यात्रियों के लिए भोजन-पानी का प्रबंध भी कर रही है। देखिए कुछ तस्वीरें और पढ़िए बाकी डिटेल्स...

Amitabh Budholiya | Published : Jul 11, 2022 8:36 AM IST
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अमरनाथ यात्रा: दिल दहलाने वाले हादसे में भी सेना का साहस देखने लायक, जान हथेली पर लेकर ड्यूटी पर डटे हैं

लापता लोगों को ढूंढ़ती रेस्क्यू टीम। बता दें कि खराब मौसम के कारण जम्मू से यात्रा स्थगित कर दी गई थी और रविवार को घाटी में किसी भी जत्थे को बेस कैम्पों में जाने की अनुमति नहीं दी गई थी।
 

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8 जुलाई को अमरनाथ की पवित्र गुफा के पास भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ में कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक लापता हो गए। अमरनाथ में बादल फटने और चार दिन पहले आई बाढ़ में लापता हुए आंध्र प्रदेश के करीब 39 तीर्थयात्रियों का पता लगा लिया गया है और वे सुरक्षित हैं। लेकिन राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राजामहेंद्रवरम की दो महिलाएं और नेल्लोर से 11 सदस्यीय समूह अभी भी लापता हैं। नेल्लोर के 18 सदस्यों के एक अन्य समूह का पता चल गया है, जिसके रविवार को लापता होने की सूचना मिली थी।

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अधिकारियों ने कहा, सीआरपीएफ की भारी सुरक्षा के बीच 110 वाहनों के काफिले में भगवती नगर यात्री निवास से 12वें जत्थे में कुल 4,026 तीर्थयात्री रवाना हुए। इनमें से 3,192 पुरुष, 641 महिलाएं, 13 बच्चे, 174 'साधु' और छह 'साध्वी' हैं।

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अधिकारियों के अनुसार, बालटाल के लिए जाने वाले 1,016 तीर्थयात्री सबसे पहले भगवती नगर शिविर से 35 वाहनों में सुबह साढ़े तीन बजे रवाना हुए, इसके बाद 75 वाहनों का दूसरा काफिला 2,425 तीर्थयात्रियों को लेकर पहलगाम के लिए रवाना हुआ। रेस्क्यू टीम अब भी लगातार मदद में जुटी है।

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अधिकारियों ने बताया कि पहलगाम मार्ग पर स्थित नुनवान आधार शिविर से सोमवार सुबह तीर्थयात्रियों के एक नए जत्थे को भी अनुमति दी गई। लोगों की मदद करते सेना के जवान।

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इस बीच, सेना ने पवित्र गुफा के बाहर एक अस्थायी सीढ़ी का निर्माण किया है। शुक्रवार को बादल फटने से हुए भूस्खलन के कारण गुफा मंदिर की ओर जाने वाला मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया था। सेना के चिनार कोर ने ट्वीट किया, "आज पहलगाम अक्ष से यात्रा शुरू होने के मद्देनजर यात्रियों की सुविधा के लिए पवित्र गुफा तक जाने के लिए एक सीढ़ी रात भर बना दी गई है।"

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बता दें कि 43 दिनी की वार्षिक अमरनाथ यात्रा 30 जून को दो बेस कैम्प दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में 48 किलोमीटर के नुनवान-पहलगाम और मध्य कश्मीर के गांदरबल में 14 किलोमीटर छोटे बालटाल से शुरू हुई।

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अब तक 1.13 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने गुफा मंदिर में पूजा-अर्चना की है, जहां प्राकृतिक रूप से निर्मित बर्फ-शिवलिंगम है।
 

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29 जून से घाटी के लिए भगवती नगर बेस कैम्प से कुल 69,561 तीर्थयात्री रवाना हो चुके हैं। पहले दिन उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाई थी।

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यात्रा 11 अगस्त को रक्षा बंधन के अवसर पर समाप्त होने वाली है। यह यात्रा दो साल बाद हो रही है। पहले यह धारा 370 हटने के बाद और फिर कोरोना के चलते कैंसल कर दी गई थी।

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