अपने अंतिम इलेक्शन में जसवंत सिंह ने बताई थी ये संपत्ति - 51 गाएं, 3 अरबी घोड़े और 13 बंदूकें

Published : Sep 27, 2020, 11:50 AM IST

नेशनल डेस्क। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेता और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह (Jaswant Singh) का रविवार सुबह 82 साल की उम्र में निधन हो गया। वे कुछ समय से बीमार चल थे। उन्हें 25 जून को दिल्ली के आर्मी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। राजनीति में आने से पहले जसवंत सिंह सेना में थे। वे मेजर के पद से रिटायर हुए थे। भारतीय राजनीति में उनकी भूमिका प्रमुख थी। उन्होंने मंत्री के रूप में तीन अहम विभाग वित्त, रक्षा और विदेश संभाले। 2014 के चुनाव में जब उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने नाराज होकर पार्टी छोड़ दी। इस चुनाव के लिए उन्होंने अपनी संपत्ति की जो घोषणा की थी, वह बेहद रोचक है। 

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अपने अंतिम इलेक्शन में जसवंत सिंह ने बताई थी ये संपत्ति - 51 गाएं, 3 अरबी घोड़े और 13 बंदूकें

2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विद्रोही उम्मीदवार के रूप में जसवंत सिंह ने अपनी संपत्ति की जो घोषणा की थी, उसके मुताबिक उनके पास गाय और घोड़े भी थे।

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जसवंत सिंह ने बताया था कि उनके पास 51 गाएं और 3 अरबी घोड़े थे। उनके पास थारपरकर किस्म की गाएं थीं। ये स्थानीय प्रजाति की गाएं होती हैं। उनके मुताबिक, ये गाएं जैसलमेर और जोधपुर के फार्म में थीं।

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जसवंत सिंह के पास 3 अरबी घोड़े भी थे। इनमें से 2 घोड़े उन्हें सऊदी अरब के शहजादे ने दिए थे। जोधपुर में जसवंत सिंह का फार्म हाउस है। वहीं ये घोड़े भी रखे गए थे। 
 

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जसवंत सिंह के बेटे भूपिन्द्र सिंह के मुताबिक, उन्होंने उन्नत किस्म की गाएं और सांड वहां के एक रिसर्च सेंटर तथा गौशाला को दान में दे दी थीं। 
 

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जसवंत सिंह के पास 7 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्ति थी। जसवंत सिंह के पास 6 गाड़ियां थीं, जिनमें से 2 उनकी पत्नी के नाम हैं।  

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जसवंत सिंह ने राजनीति में आने के लिए सेना में मेजर के पद से इस्तीफा दे दिया था। वे अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में अपने करियर की ऊंचाई पर थे। 1998 से 2004 तक राजग के शासनकाल में जसवंत सिंह वित्त, रक्षा और विदेश मंत्री रहे।
 

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जसवंत सिंह का राजनीतिक करियर कई उतार-चढ़ाव से गुजरा। इस दौरान वे काफी विवादास्पद भी रहे। 1999 में एयर इंडिया के अपहृत विमान के यात्रियों को छुड़ाने के लिए आतंकवादियों के साथ कंधार जाने के मामले में उनकी काफी आलोचना हुई। जसवंत सिंह हमेशा अटल बिहारी वाजपेयी के भरोसेमंद रहे। वे ब्रजेश मिश्र और प्रमोद महाजन के साथ वाजपेयी की टीम के अहम सदस्य थे।

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साल 2009 तक जसवंत सिंह राज्य सभा में विपक्ष के नेता रहे। उन्होंने गोरखालैंड के लिए संघर्ष करने वाले दलों के कहने पर दार्जिलिंग से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। जसवंत सिंह को अगस्त 2009 में अपनी पुस्तक ‘जिन्नाः भारत विभाजन और स्वतंत्रता’ में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की प्रशंसा करने पर भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था।

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