अंतिम संस्कार के लिए नहीं थे पैसे, पता चला मृतक के खाते में हैं 1.18 लाख रु., ग्रामीण शव को लेकर बैंक पहुंचे

पटना. मरा हुआ व्यक्ति जबतक हस्ताक्षर नहीं करेगा, तब तक अंतिम संस्कार के लिए बैंक उसके पैसे नहीं देगा। यह लाइन पढ़ने और सुनने में अटपटी लग सकती है, लेकिन सच है। यह बात किसी अनपढ़ ने नहीं, बल्कि बैंक के बड़े अधिकारियों ने कही है। मामला बिहार की राजधानी पटना का है। यहां अकेले रहने वाले 60 साल के बुजुर्ग महेश यादव की मौत के बाद असली कहानी शुरू हुई।

Asianet News Hindi | Published : Jan 11, 2021 7:49 AM IST / Updated: Jan 11 2021, 01:42 PM IST

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अंतिम संस्कार के लिए नहीं थे पैसे, पता चला मृतक के खाते में हैं 1.18 लाख रु., ग्रामीण शव को लेकर बैंक पहुंचे
ये पूरा मामला शाहजहांपुर थाना क्षेत्र के सिगरियावा गांव का है।
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पटना के ग्रामीण इलाके में 60 साल का एक बुजुर्ग अकेले रहता था। मिलने वालों में सिर्फ पड़ोती था। एक रात पड़ोसी ने देखा कि बुजुर्ग की मौत हो गई है और घर में उसका शव पड़ा है।
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बुजुर्ग का शव देखकर पड़ोसी घर के अंदर गया। उसने सोचा कि वह खुद ही उसका अंतिम संस्कार कर दे। उसने घर के अंदर पैसे के लिए खोजबीन की। सोचा कुछ पैसे मिल जाएंगे तो अंतिम संस्कार आसानी से हो जाएगा। लेकिन घर में पैसा तो नहीं मिला, एक पासबुक मिली, जिससे पता चला कि बुजुर्ग के कुछ पैसे बैंक में पड़े हैं।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मृतक का नाम महेश यादव था। वह दिहाड़ी मजदूरी करके अपना खर्च चलाता था। लेकिन काफी लंबे वक्त से बीमार होने के बाद उसका निधन हो गया। पासबुक के मुताबिक, बैंक में बुजुर्ग के 1.18 लाख रुपए पड़े थे।
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शाहजहांपुर पुलिस ने कहा कि खबर मिलने के बाद केनरा बैंक शाखा ने प्रबंधक को अंतिम संस्कार करने के लिए महेश के खाते से 20,000 रुपए जारी करने के लिए कहा गया। ग्रामीणों ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति का पैसा उसके अंतिम संस्कार पर खर्च नहीं किया जा सके तो उसका क्या उपयोग है।
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पुलिस के कहने के बाद भी बैंक नहीं माना और बुजुर्ग के अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं दिए। गांव के लोग शव लेकर बैंक के अंदर पहुंच गए। ग्रामीणों ने शव को फूलों से ढंक दिया। फिर शव को बैंक के अंदर ले गए। ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार के लिए महेश के खाते से पैसे की मांग की।
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बैंक अधिकारियों ने गांव के लोगों को तर्क दिया कि महेश के हस्ताक्षर के बिना पैसे नहीं निकलेंगे। इस बीच बैंक के फर्श पर शव पड़ा रहा। कई घंटों तक कामकाज बंद रहा।
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बैंक प्रबंधक ने आखिरकार सीएसआर फंड से 10,000 रुपए का भुगतान करने का फैसला किया और स्थानीय गांव मुखिया ने दाह संस्कार के लिए 5,000 रुपए दिए।
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रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बैंक कई महीनों से महेश से अपनी बैंक केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कह रहा था लेकिन उसे डर था कि इससे उसकी जिंदगी भर की कमाई कोई ले लेगा।
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