जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली..तुम भूल न जाओ उनको, इसलिए कही ये कहानी

जयपुर, राजस्थान. हंदवाड़ा में आतंकी मुठभेड़ में शहीद हुए पांच बहादुर जवानों ने एक बार फिर साबित किया कि ये देश ऐसे ही वीरों के कारण सुरक्षित है। देश के वीरों की कहानियां अकसर हम सुनते-पढ़ते रहते हैं। आपको याद होगा 14 फरवरी, 2019 का पुलवामा आतंकी हमला। इसमें हमने अपने 40 जाबांजों को खोया था। हंदवाड़ा में शहीद हुए 21वीं राष्ट्रीय राइफल्स(RR) के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा का परिवार जयपुर का रहने वाला है। राजस्थान को वीरों की भूमि भी कहा जाता है। हंदवाड़ा का मामला हो या पुलवामा..राजस्थान के वीरों ने देश के लिए खूब शहादत दी है। पहले बता दें कि शनिवार रात जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में आतंकवादियों से लोहा लेते भारत के 5 जांबाज शहीद हो गए।  शहीद जवानों में 21 राष्ट्रीय रायफल्स के कर्नल आशुतोष, मेजर अनुज सूद, नायक राजेश और लांस नायक दिनेश और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एसआई एसए काजी शामिल हैं। हंदवाड़ा की घटना के मद्देनजर हम आपको राजस्थान के कुछ ऐसे शहीदों के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने पुलवामा अटैक में अपनी शहादत दी थी। उद्देश्य इतना है कि आप इन्हें भूले नहीं..इनकी बहादुरी के किस्से सदा याद किए जाएं...
 

Asianet News Hindi | Published : May 4, 2020 5:38 AM IST / Updated: May 04 2020, 11:31 AM IST
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जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली..तुम भूल न जाओ उनको, इसलिए कही ये कहानी

तुम भूल न जाओ उनको इसलिये कही ये कहानी: इस देश का कोई भी नागरिक 'पुलवामा अटैक' को नहीं भूल सकता। इस आतंकवादी हमले में भारत ने अपने 40 वीर जवान खोये थे। लेकिन वीरों की शहादत कभी बेकार नहीं जाती। देश आतंकवाद के खिलाफ पूरी ताकत से खड़ा था और आगे भी खड़ा रहेगा। इन्हीं वीरों ने दुश्मनों और आतंकवादियों की कमर तोड़कर रखी हुई है। जिन घरों ने अपने बहादुर सपूत देश पर न्यौछावर किए..उनके दिलों में दु:खों का समंदर तो है, लेकिन फक्र भी है कि उनमें से किसी का भाई...पिता..बेटा या पति..देश के काम आया। देशभक्ति से बड़ा कोई गौरव नहीं। उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा में आतंकवादियों ने CRPF काफिले पर हमला किया था।

(यह तस्वीर शहीद हेमराज मीणा और उनके बेटे ऋषभ की है) 

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यह है कोटा जिले के सांगोद गांव के रहने वाले शहीद हेमराज मीणा का बेटा ऋषभ। पुलवामा अटैक के वक्त यह 5 साल का था। जब हेमराम की अंत्येष्टि हुई, तब मासूम पिता को याद करके फूट-फूटकर रो पड़ा। हालांकि फिर बच्चे ने खुद ही अपनी आंसू पोछे और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए थे।

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यह हैं शहीद हेमराज मीणा की मां रतन बाई और पिता हरदयाल मीणा। अपने बेटे को खोने का दु:ख इन्हें जिंदगी भर रुलाता रहेगा। लेकिन उन्हें इस बात का गर्व है कि बेटा देश पर न्यौछावर हुआ है। हेमराज छुट्टियों के बाद ड्यूटी पर पहुंचे थे, तभी 2 दिन बाद उनके शहीद होने की खबर घर पहुंची थी।

आगे पढ़िये पुलवामा अटैक में शहीद हुए ऐसे ही वीरों से जुड़ीं इमोशनल बातें

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धौलपुर जिले के जैतपुर के रहने वाले भागीरथ कंसाना के पार्थिव शरीर पर माथ टेककर नमन करता उनका मासूम बेटा। अपने पति की शहादत पर गर्व करते हुए पत्नी ने कहा था, मेरे बच्चे दुश्मन से बदला लेंगे। वो अपने बच्चों को भी सेना में भेजेगी।

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अमरसर की शाहपुरा ग्राम पंचायत गोविंदपुरा बासड़ी के रहने वाले शहीद रोहिताश लांबा की मां घीसी देवी घंटों यूं ही रोती रहीं। लेकिन वे यह भी कहती रही कि आज उनका बेटा नहीं है, लेकिन वो देश पर अपनी जान देकर अमर हो गया।

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राजसमंद के रहने वाले शहीद नारायण गुर्जर का अंतिम संस्कार करते वक्त उनका बेटा लगातार रोता रहा। लेकिन उसने यह भी कहा कि उसे पापा पर गर्व है।

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यह तस्वीर भरतपुर जिले के सुंदरावली गांव के शहीद जीतराम की अंतिम यात्रा की है। अपने गांव के वीर को अंतिम सलामी देने मानों सैलाब उमड़ पड़ा था।

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बता दें कि इसी शनिवार को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में आतंकवादियों से मुठभेड़ में ये पांच बहादुर शहीद हुए हैं।

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