राजस्थान में दुनिया के इकलौते 3 आंख वाले गणेशजी, बिना सूंड वाले बप्पा भी...दर्शन करते ही होता है चमत्कार

जयपुर. गणेश चतुर्थी के मौके पर आज हम आपको राजस्थान के उन फेमस गणेश मंदिरों के दर्शन कराते हैं जिनके साथ लोगों की भावना जुड़ी हुई है। इन पांच से छह मंदिरों में आज शाम तक करीब दो करोड़ से भी ज्यादा भक्तों क आने का अनुमान लगाया जा रहा है। दो साल तक कोरोना के कारण भक्तों से गणपति दूर ही रहे, इस बार ऐसा नहीं है। दो साल की कसर इस साल पूरी हो रही है। प्रदेश के बड़े गणेश मंदिरों में तो तड़के चार बजे से ही तिल रखने तक की जगह नहीं है। आपको ले चलते हैं आज राजस्थान के उन गणेश मंदिरों में जिनको साक्षात देखने के लिए नसीब लगता है। जानिए क्यों 500 साल पुराने गणेश मंदिर में लाइन लगाकर खड़ी रहती हैं करोड़ों रुपयों की कारें...  

Arvind Raghuwanshi | Published : Aug 31, 2022 5:58 AM IST / Updated: Aug 31 2022, 11:31 AM IST

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 राजस्थान में दुनिया के इकलौते 3 आंख वाले गणेशजी, बिना सूंड वाले बप्पा भी...दर्शन करते ही होता है चमत्कार

तीन आंख वाले गणेश जी, दुनिया में इकलौते
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में तीन आंख वाले गणेश जी की इकलौती प्रतिमा है। यह देश दुनिया में भी पहली और आखिरी ही प्रतिमा है। सवाई माधोपुर से करीब बारह किलोमीटर दूरी पर स्थित रणथंभौर किले में स्थित इन गणेश मंदिर को दसवीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर ने किले के साथ ही बनवाया था। मंदिर इतना लक्की माना जाता है कि गणेश जी एक झलक पाने के लिए भीड़ लगी रहती है। बताया जाता है कि मंदिर की मूर्ति स्वंय भू है। 

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उल्टा स्वास्तिक बनाने से काम बनाते हैं ये गणेश जी
जयपुर में नाहरगढ़ की पहाड़ी की तलहटी में स्थित नहर के गणेश मंदिर में उल्टा स्वास्तिक बनाने का चलन है। करीब दो सौ साल पुरानी गणेश प्रतिमा की सूंढ दाई तरफ है। मान्यता है कि उल्टा काम करने से बिगड़े काम बन जाते हैं।

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बिना सूंड वाले गणेश जी विजराते हैं पहाड़ पर, फोटो लेना मना है... सफेद चूहे और तोते घुमतें हैं मंदिर में 
जयपुर के ब्रहम्पुरी क्षेत्र में स्थित नाहरगढ़ की पहाड़ी पर बने गढ़ गणेश मंदिर देश का इकलौता मंदिर है जहां पर भगवान गणेश बिना सूंढ के बैठे हैं। मंदिर में फोटो लेना मना है। बताया जाता है कि यह मंदिर नाहरगढ़ की पहाड़ी पर महाराजा सवाई जयसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ करवा कर गणेश जी के बाल्य स्वरूप वाली इस प्रतिमा की विधिवत स्थापना करवाई थी। मंदिर परिसर में पाषाण के बने दो मूषक स्थापित है। जिनके कान में भक्त अपनी इच्छाएं बताते हैं और मूषक उनकी इच्छाओं को बाल गणेश तक पहुंचाते हैं। मंदिर में सफेद चूहे और तोते स्वछंद विचरते हैं। 

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500 साल पुराना मोती डूंगरी गणेश मंदिर.... जहां लाइन लगाकर खड़ी रहती हैं करोड़ों रुपयों की कारें... 
मोती डूंगरी गणेश जयपुर शहर के आराध्य माने जाते हैं। यहां पर हर साल गणेश चतुर्थी पर ही बीस लाख से भी ज्यादा भक्त पहुंचते हैं। पूरे साल में एक करोड से भी ज्यादा भक्त यहां पूजा पाठ करने आते हैं। मंदिर में पांच सौ एक किलो के लड्डू का भोग लगता है। राजस्थान का ऐसा इकलौता मंदिर है जहां पर गाड़ियां ढोक लगाने आती हैं। नई गाड़ी लेकर लोग सबसे पहले यहां आते हैं। ऐसी मान्यता है कि गाड़ी और लाड़ी यानि बहू के साथ ढोक लगाने से दोनो ही परेशानी नहीं करती। 

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110 फीट की उंचाई पर स्थित जोधपुर का गणेश मंदिर, मौली बांधकर मुराद पूरी होती है
जोधपुर शहर के रातानाड़ा क्षेत्र में स्थित एक सौ पचास साल पुराने एक सौ दस फीट उंचाई पर स्थित सिद्ध गजानंद मंदिर में मौली बांधकर ही मुरादें पूरी हो जाती हैं। मंदिर के आसपास रखे पत्थरों से नए मकान का प्रतिरुप बनाने भर से अपने मकान की मनोकामना भी पूरी होती है। मान्यता है कि शादी और नए काम में यहां से गणेश जी का आर्शीवाद लिए बिना जाने से काम सफल नहीं होते। 
 

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