ये हैं देश को आदर्श युवा किसान, खेतों से कैसे सोना उगलवा सकते हैं, इनसे सीखिए

Published : Dec 08, 2020, 02:37 PM IST

चित्तौड़गढ़, राजस्थान. इन दिनों किसानों का मुद्दा देश में छाया हुआ है। इस कृषि प्रधान देश में किसान खासी अहमियत रखते हैं। लेकिन वे खेती-किसानी से जुड़ी तमाम समस्याओं और दिक्कतों का सामना करते हैं। किसानी का बाजिब मूल्य नहीं मिलना या मौसम-बेमौसम की मार और कीटों से नुकसान एक आम समस्या है। लेकिन आपको मिलवाते हैं एक एक ऐसे युवा किसान से, जिसने जुगाड़ की तकनीक से खेती-किसानी को लाभ का धंधा बना दिया। हर बेकार चीज असेंबल करके काम में लाई जा सकती है, कैसे? इस 22 साल के इस किसान से सीखिए। यह हैं नारायण लाल धाकड़। ये जिले के एक छोटे से गांव जयसिंहपुरा में रहते हैं। ये जुगाड़ तकनीक से कई ऐसी मशीनें बना चुके हैं, जो खेती-किसानी में बड़े काम आ रही हैं। ये अपने सारे आविष्कार यूट्यूब चैनल 'आदर्श किसान सेंटर' के जरिये डेमो देते हैं। इनके चैनल को लाखों लोग फॉलो करते हैं।  ये उपकरण फसलों को जानवरों और कीटों के नुकसान से बचाते हैं।  

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ये हैं देश को आदर्श युवा किसान, खेतों से कैसे सोना उगलवा सकते हैं, इनसे सीखिए

नारायण इस देश के ऐसे किसान हैं, जिनके लिए खेती-किसानी नौकरी से लाख बेहतर है। नारायण मानते हैं कि खेती-किसानी में समय के साथ आपको चलना पड़ता है।

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नारायण ने एक मीडिया को बताया था कि जब वे 12 साल के थे, तब से खेतों पर जाने लगे थे। 12वीं की पढ़ाई के बाद वे खेती-किसानी के लिए उपकरण बनाने लगे। नील गायें किसानों के लिए बड़ी समस्या होती हैं। उन्हें मारकर भगाने का दिल नहीं करता। इसे ध्यान में रखकर नारायण ने यह उपकरण बनाया।

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देसी जुगाड़ से बनाया गया यह उपकरण ऐसी आवाज करता है कि नील गायें खेतों से भाग खड़ी होती हैं। नारायण का यह उपकरण काफी सुर्खियों में है।

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नारायण के देसी जुगाड़ की यह छोटी सी चीज खरपतवार उखाड़ने के काम आती है।

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फसल को साफ करने वाली यह छलनी नारायण ने घर पर ही घी के कनस्तर को काटकर तैयार कर ली।

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कपास की फसल को उखाड़ना कठिन होता है। नारायण का यह उपकरण पौधे को पकड़कर आसानी से जमीन से उखाड़ देता है।

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नारायण की देसी जुगाड़ से बनी यह मशीन भारी वजन उठाकर ले जाने में काम आती है।

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कीड़े-मकोड़े भगाने के लिए नारायण ने लैंपनुमा यह मशीन तैयार की है।
 

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छोटी-मोटी निंदाई-गुड़ाई के लिए यह छोटी की गाड़ी बड़े काम आती है।
 

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नारायण के पिता का इनके जन्म से पहले ही हार्ट अटैक से निधन हो गया था। इनकी परवरिश मां सीतादेवी ने अकेले की। इनकी दो जुड़वां बहने हैं।

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नारायण बचपन से ही अपनी मां के साथ खेतों पर जाते थे। तब से उन्हें मिट्टी से प्रेम हो गया। 

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