रंग नहीं पत्थर से खूनी होली
डूंगरपुर (Dungarpur) के ही भीलूडा गांव में पत्थरमार खूनी होली खेली जाती है। पिछले 200 सालों से धुलंडी पर खुनी होली खेलने की परम्परा है। होली पर्व पर रंगों के स्थान पर पत्थर बरसा कर खून बहाने को भी शगुन मानने का अनोखा आयोजन होता है, जिसे स्थानीय बोली में पत्थरो की राड़ कहा जाता है। इस परंपरा में भीलूड़ा और आसपास के गांवों से आए प्रतिभागी हिस्सा लेते हैं। जैसे ही यह खेल शुरू होता है वैसे ही हाथों में पत्थर, गोफन और ढाल लिये ये लोग दो टोलियों में बंट जाते हैं और होरिया के चीत्कार लगाते हुए एक- दूसरे पर पत्थर बरसाना शुरू कर देते हैं। प्रतिभागियों के पास कुछ ढाले भी होती हैं जो विरोधी पक्ष से आने वाले पत्थरों की बौछारों को रोकती हैं। चोट लगने और खून बहते हैं और खून के साथ ही उत्साह भी बढ़ता जाता है।