रतलाम के अब्दुल के हुनर को सलाम : दोनों हाथ नहीं, पैरों से कमाल कर जीते 11 मेडल, पढ़िए बच्चे के जज्बे की कहानी

उदयपुर : 15 साल के बड़े हुनरबाज अब्दुल कादिर इंदौरी...जज्बा ऐसा कि पांव-पांव में सफलता की दुनिया नाप दी। अब्दुल जब सात साल के थे तो एक हादसे में उन्होंने अपने दोनों हाथ गंवा दिए। घर-परिवार के लोग निराश थे लेकिन शायद ही किसी को अंदाजा रहा होगा कि एक दिन उनका अब्दुल अपने जज्बे से उनका नाम इतनी ऊंचाईयों पर पहुंचा देगा। अब्दुल आज स्विमिंग चैंपियन हैं। अब तक उन्होंने 11 मेडल अपने नाम किया है। अब्दुल एक बार फिर चैंपियन बनने को तैयार हैं। वे राजस्थान (Rajasthan) के उदयपुर (Udaipur) पहुंचे हैं। यहां 25 मार्च से 21वां नेशनल पैरा स्विमिंग टूर्नामेंट शुरू हो गया है। इस टूर्नामेंट में 23 राज्यों के 400 पैरा स्विमर शामिल हो रहे हैं। टूर्नामेंट 27 मार्च तक चलेगा। उससे पहले जानिए अब्दुल कादिर इंदौरी के जज्बे की कहानी..

Asianet News Hindi | Published : Mar 25, 2022 7:02 AM IST

17
रतलाम के अब्दुल के हुनर को सलाम : दोनों हाथ नहीं, पैरों से कमाल कर जीते 11 मेडल, पढ़िए बच्चे के जज्बे की कहानी

अब्दुल का जन्म मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के रतलाम (Ratlam) में हुआ है। उन्होंने अब तक तैराकि में तीन गोल्ड और आठ सिल्वर मेडल अपने नाम किए हैं। एक बार फिर वे उदयपुर में चैंपियनशिप जीतने पहुंचे हैं। टूर्नामेंट शुरू हो गया है और सभी की नजरें अब्दुल कादिर इंदौरी (Abdul Qadir Indori) पर है।
 

27

साल 2014 की बात है, उस वक्त अब्दुल की उम्र सात साल की थी और वह अपने मौसी के घर भोपाल आया था। यहां लुका छिपी खेलते वक्त वह छिपने के लिए छत पर चला गया और वहां हाईटेंशन तार की चपेट में आ गया। तीन महीने तक अब्दुल का अस्पताल में इलाज चला उन्होंने अपने दोनों हाथ गंवा दिए।
 

37

इसके बाद की दुनिया मानो कठिन थी। परिवार के लोग भी बच्चे के भविष्य को लेकर काफी परेशान रहते थे लेकिन यहां से अब्दुल ने अपनी नई दुनिया बनाई और उसने स्विमिंग सीखनी शुरू की। चुनौतीपूर्ण था लेकिन उनके हौसले के सामने हर बाधा छोटी सी हो गई। अब्दुल ने कभी हिम्मत नहीं हारी। तैराकी के शौक को जुनून में बदल दिया और आज उसकी दुनिया बहुत बड़ी हो गई है।

47

अब्दुल ने अब तक 11 मेडल अपने नाम किया है। पिछले साल बैंगलोर में आयोजित राष्ट्रीय पैरा तैराकी चैंपियनशिप में उन्‍होंने तीन गोल्ड मेडल जीते। इससे पहले 2017 में उदयपुर में चैंपियनशिप में उन्होंने XVII राष्ट्रीय पैरा तैराकी में दो स्वर्ण और एक रजत अपने नाम किया।
 

57

साल 2016 में जयपुर में चैंपियनशिप XVI राष्ट्रीय पैरा तैराकी में अब्दुल कादिर ने दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता। वहीं 2015 में बेलगाम में आयोजित चैंपियनशिप में अपनी पहली राष्ट्रीय पैरा तैराकी में उन्होंने एक स्वर्ण और एक रजत पदक जीतकर अपने हौसले को जता दिया था।

67

अब्दुल का जज्बा कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह पैरों से अपने सभी काम करता है। पैरों से ही अब्दुल लिखता है। मोबाइल, कंप्यूटर चलाना, साइकिलिंग सभी काम वह अपने पैरों से ही करता है।

77

पदकों की झड़ी लगाने वाले अब्दुल का सपना है कि वो पैरालिंपिक में जाए और देश के लिए मेडल जीते। कोच राजा राठौड़ बताते हैं कि पहली बार देखने को बाद तो कुछ समझ नहीं आया लेकिन बच्चे का हौसला इतना बड़ा है कि हमने इसकी कल्पना भी नहीं की थी। यह बच्चा एक दिन बहुत आगे जाएगा।

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos