रुला देने वाला दृश्य: 24 दिन की मासूम संभालेगी परिवार की जिम्मेदारी,आंख में आंसू लिए हर कोई भगवान को कोसता रहा

सीकर : उसे दुनिया में आए महज 24 दिन हुए हैं। अबोध और निहायत ही मासूम है। रिश्ते-नाते और दुनियादारी से बिल्कुल अनजान। लेकिन, इस मासूम उम्र में भी उस पर परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ आ गया है। राजस्थान (Rajasthan) के सीकर (Sikar) में 12 दिन पहले एक हादसे ने परिवार के तीन सदस्यों को छीन लिया। इसके बाद मासूम को पगड़ी पहनाकर पूरे गांव के सामने घर की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस दौरान जो भी वहां मौजूद रहा, सभी की आंखें नम हो गईं। हर कोई भगवान को कोसता रह गया। देखिए इमोशनल कर देने वाली तस्वीरें...

Asianet News Hindi | Published : May 24, 2022 6:00 AM IST / Updated: May 24 2022, 12:03 PM IST

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रुला देने वाला दृश्य: 24 दिन की मासूम संभालेगी परिवार की जिम्मेदारी,आंख में आंसू लिए हर कोई भगवान को कोसता रहा

सिर से पिता का साया उठा
नांगल निवासी बंशीधर भाई दीपेश और उसकी पत्नी पिंकी के साथ कॉन्स्टेबल भर्ती की परीक्षा देने जाते समय हादसे का शिकार हो गया था। तीनों रात को बाइक पर डूंडलोद के लिए घर से रवाना हुआ थे। इसी दौरान मंढा मोड़ पर रात करीब 9 बजे डेयरी का एक ट्रक जयपुर रोड से आ रहा था। जिसके सामने कट से अचानक आए एक ट्रैक्टर को बचाने के चक्कर में वह अनियंत्रित होकर उनकी बाइक पर गिर गया।

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पिता और चाचा-चाची की मौत
ट्रक जिस वक्त बाइक पर पलटा बंशीधर, उनके भाई और उसकी पत्नी के पास कोई मौका नहीं था खुद को बचाने का। इस हादसे में मौके पर ही तीनों की मौत हो गई। हादसे की सूचना के बाद हाइवे पेट्रोलिंग पुलिस के अलावा रानोली और खाटूश्यामजी पुलिस मौके पर पहुंची। स्थानीय लोगों की मदद से ट्रक को खड़ा करने की कोशिश की। लेकिन, काफी मशक्कत के बाद भी नीचे दबे लोगों को नहीं निकाला जा सका। 

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घर पर टूटे दुखों के हाड़ से मासूम अनजान
काफी मशक्कत के बाद एक निजी क्रेन और जेसीबी को पुलिस ने ट्रक को उठाने के लिए बुलाया। घंटों के बाद बड़ी मुश्किल से ट्रक के नीचे से तीनों को निकाला जा सका। तीनों के शव सड़क से चिपक गए थे। खून बह रहा था और तीनों की सांसे थम चुकी थी। घर पर टूटे दुखों के पहाड़ से मासूम पूरी तरह अनजान है। 

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बुढापे का सहारा छीना
हादसे में दीपेश और बंशीधर के पिता अशोक कुमार का बुढ़ापे का सहारा भी छिन गया। अशोक के दो ही बेटे थे। जो एक साथ हादसे का शिकार हो गए। परिवार में अब अशोक कुमार के अलावा उनकी पत्नी पतासी देवी और बंशीधर की पत्नी मोनू कुमावत ही बचे हैं। जिसके चलते परिवार की जिम्मेदारी 24 दिन की मासूम चंचल को सौंपी गई है।

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दो साल पहले ही हुई थी शादी
दोनों भाइयों की शादी को भी अभी ज्यादा दिन नहीं बीते थे। दो साल पहले ही दीपेश और बंशीधर की रामपुरा डाबड़ी में दो बहनों के साथ धूमधाम से शादी की गई थी। हादसे के 13 दिन पहले ही मृतक बंशीधर की बेटी ने भी जन्म लिया था। जिसका हादसे के चार दिन पहले ही जलवा पूजन किया गया था।

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