हाथरस केसः बेटी की अस्थियां परिवार ने चिता से उठाईं, लेकिन विसर्जित करने से किया इनकार, बताई ये वजह...

हाथरस (उत्तर प्रदेश). हाथरस गैंगरेप पीड़िता की मौत के चार दिन बाद परिवार शनिवार को अस्तियां उठाने के लिए पहुंचा। हालांकि पीड़िता के पिता और भाई नहीं गए। उन्होंने कह दिया हम नहीं जाएंगे, क्योंकि वो हमारी बेटी की अस्तियां नहीं हैं। बता दें कि इन अस्तियों को लेने के लिए पीड़िता का चचेरा भाई पहुंचा था। साथ में प्रशासन के अधिकारी भी मौजदू थे।
 

Asianet News Hindi | Published : Oct 3, 2020 1:21 PM IST / Updated: Oct 03 2020, 09:02 PM IST
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हाथरस केसः बेटी की अस्थियां परिवार ने चिता से उठाईं, लेकिन विसर्जित करने से किया इनकार, बताई ये वजह...

हमें हमारी बेटी का चेहरा तक नहीं देख पाए
मीडिया से बात करते हुए पीड़िता के पिता ने कहा-हम अस्थियां उठाने नहीं जाएंगे। पता नहीं वह किसकी अस्थियां हैं। हमें हमारी बिटिया की शक्ल तक नहीं दिखाई गई तो हम क्यों वो अस्थियां लेने जाएं।

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पता नहीं पुलिस ने आधी रात को किसका शव जलाया
पीड़िता के भाई ने कहा-जब हमको प्रशासन ने बिना चेहरा दिखाए शव जला दिया तो क्यों हम श्मशान से उसकी अस्थियां लेकर आएं। हमें क्या पता वह हमारी बहन का शव था या किसी और का शव था। 
 

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जब तक आरोपियों को फांसी नहीं, तब तक अस्थियां विसर्जित नहीं
पीड़िता के भाई ने कहा कि जब तक आरोपियों को फांसी नहीं लटकाया जाएगा। तब तक हम इन अस्थियों को विसर्जित नहीं करेंगे। इसके अलावा परिवार ने जिलाधिकारी प्रवीण कुमार पर गंभीर आरोप लगाए। कहा बेटी को आधी रात को जलाने के पीछे यही अफसर जिम्मेदार है।

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बेटी का आखिरी बार चेहरा तक नहीं देख पाए
पीड़िता की मां बोलीं-यह कैसा शासन है हम अपनी ही बेटी को मिट्टी नहीं दे पाए। आखिरी बार भी उसका मुंह नहीं देख पाए। पुलिस ने चोरी छिपे उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
 

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इंसानियत के नाते अस्तियां लेकर आए
पीड़िता के भाई ने कहा कि प्रशासन ने मेरी बहन को लावारिस समझ कर पेट्रोल डालकर जला दिया। ऐसा कोई जानवरों के साथ भी नहीं करता है। हम तो उनको इंसानियत के नाते अस्तियां उठाकर लाए हैं ताकि कुत्ते उनकों ना खाएं।

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