जब 1996 में तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया तो अखुंदजादा (Hibatullah Akhundzada) को प्रचार प्रसार करने के लिए नियुक्त किया गया। इसके तुरंत बाद उसे जिहादी मदरसे में 100,000 से अधिक छात्रों को ट्रेनिंग देने का काम सौंपा गया। वह तब शरिया अदालतों का मुख्य न्यायाधीश बना, जिसने नागरिकों पर चरमपंथी तालिबानी फतवे जारी किए।