सीनेट(पाकिस्तान पॉर्लियामेंट के अपर हाउस-Senate) के अध्यक्ष सादिक संजरानी(Sadiq Sanjrani) ने सोमवार को कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम में हाल ही में प्रस्तुत संशोधनों(amendments ) पर विचार करने के लिए गठित समिति यदि आवश्यक हो तो धार्मिक विद्वानों और इस्लामी विचारधारा परिषद से विधिवत परामर्श करेगी। संजरानी ने कहा, "सीनेट कभी भी इस्लामी कानूनों के खिलाफ कुछ नहीं करेगी।" यह विवाद शरिया अदालत में चल रहा है। इसमें विरोधी पक्ष का तर्क है कि यह कानून समलैंगिक विवाह को वैध बनाने की दिशा में पहला कदम है। बता दें कि जमात-ए-इस्लामी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पाकिस्तान (फ़ज़ल, सहित धार्मिक राजनीतिक दलों के राजनेताओं) ने इस बात पर जोर दिया कि कानून इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ है और इसमें तुरंत संशोधन किया जाना चाहिए। पिछले नवंबर में जमीयत ने इस कानून में संशोधन का एक बिल नेशनल असेंबली में पेश किया था।