नेपाल में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी(माओवादी सेंटर) के प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड ने पार्टी के नाम के आगे से 'माओवादी सेंटर' शब्द हटाने का प्रस्ताव रखा है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि माओ को पसंद नहीं करने वाले कम्युनिस्ट विचारधारा के लोगों को साथ लाना है। आखिर ये 'माओ' शब्द इतना डरावना क्यों हैं? आपको बता दें कि एक चीनी क्रांतिकारी, राजनीतिक विचारक और कम्युनिस्ट थे माओ-त्से-सुंग। इन्हीं के नेतृत्व में चीनी क्रांति सफल हुई थी। माओ ने ही जनवादी गणतंत्र चीन की 1949 में स्थापना की थी। माओ ने अपने अंतिम समय 1973 तक चीन का नेतृत्व किया। आइए जानते हैं माओ की कहानी...