जब कुदरती रूप से महिलाओं का पीरियड्स यानी मासिक धर्म चक्र पूरी तरह बंद हो जाता है तो उस स्थिति को मेनोपॉज कहते हैं। मेनोपॉज के दौर से गुजर रही महिला को सपोर्ट की जरूरत होती है, लेकिन एक ऐसा देश है जहां महिलाओं को इसकी वजह से जॉब से निकाला जा रहा है या फिर वो खुद इसे छोड़ रही हैं।
हेल्थ डेस्क. मेनोपॉज (menopause) के दौरान महिलाओं में शारीरिक और मानसिक तौर पर बहुत सारे बदलाव आते हैं। यह कोई बीमारी नहीं हैं, बल्कि शरीर की सामान्य गतिविधि हैं जो उम्र के साथ आती है। बिना स्ट्रेस लिए इसे समझदारी से संभालने की जरूरत होती है। लेकिन ब्रिटेन में मेनोपॉज की वजह से महिलाओं को जॉब से निकला जा रहा है या फिर वो खुद इसे छोड़ रही हैं। एक रिसर्च के मुताबिक अब तक 10 लाख महिलाएं जॉब छोड़ दी है या फिर किसी और जगह नौकरी की तलाश कर रही हैं। इसके पीछे वजह ऑफिस में उनके साथ किया जा रहा बर्ताव है।
दरअसल, मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में बेचानी, स्मृति लॉस, डिप्रेशन, हद से ज्यादा गर्मी लगना जैसी समस्या देखने को मिलती हैं। जिसकी वजह से उनकी कार्य क्षमता प्रभावित होती है। ये बात बॉस को पसंद नहीं आती और अपने बेहतरीन कर्मचारी को निकालने से भी परहेज नहीं करते हैं। या फिर महिलाएं खुद ऑफिस का तनाव नहीं झेल पाती है और वो जॉब छोड़ देती हैं।
आने वाले पांच साल में 10 लाख महिलाएं और छोड़ेंगी नौकरी
ब्रिटेन में तो हालत काफी खराब है। ऐसी आशंका है कि अगले पांच सालों में एक और मिलियन (10 लाख) महिलाएं नौकरी छोड़ने के लिए संभावित रूप से कठोर निर्णय लेंगी। रोजगार और समावेश विशेषज्ञ, सिंथिया डेविस ने चेतावनी दी है कि मेनोपॉज से पीड़ित महिलाओं को काम छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अनुभवी कर्मचारियों के काम छोड़ने की जह से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकता है। इतना ही नहीं कंपनी पर भी इसका भार बढ़ेगा। क्योंकि एक नए कर्मचारी को हायर करने में उन्हें ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
यूके में अनुमानित 13 मिलियन महिलाएं पेरिमेनोपॉज़ल या मेनोपॉज़ल हैं । लेकिन उनमें से केवल 5.8 मिलियन को ही काम पर माना जाता है।पिछले पांच वर्षों में अकेले ब्रिटेन की कार्यबल को पूरी तरह से छोड़ने वाली महिलाओं की संख्या लगभग 300,000 है।
ऑफिस में मेनोपॉज से शिकार महिलाओं के साथ होता है भेदभाव
डाइवर्सिफाइंग ग्रुप की संस्थापक और सीईओ डेविस ने बताया कि पिछले पांच सालों के दौरान जो मैंने देखा, उससे यहीं कहूंगी कि 20 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं जो मेनोपॉज से गुजर रही हैं, उन्हें नौकरी बदलनी पड़ी। क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि उनके साथ भेदभाव किया जाता है।
हालांकि महिलाएं मेनोपॉज के बाद हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी)करा रही हैं। जिसकी वजह से इससे पैदा हो रहे लक्षणों से निपटा जा सके। हालांकि ब्रिटेन में इसकी मांग ज्यादा है जिसकी वजह से आपूर्ति करने में समस्या आ रही हैं। फार्मेसियों के पास अक्टूबर तक स्टॉक है।
मेनोपॉज की उम्र
भारत में महिलाओं में मेनोपॉज की उम्र आम तौर पर 45-50 के बीच माना जाता है। लेकिन ठंडी जगह पर रहने वाली महिलाओं में मेनोपॉज 50 से 60 साल के बीच माना जाता है। लेकिन, सर्जरी या कैंसर होने पर समय से पहले अगर अंडाशय और गर्भाशय को निकालना पड़ा तो समय से पहले मेनोपॉज हो सकता है।
मेनोपॉज से पहले पीरियड्स का अनियमति होना शुरू हो जाता है। जिसे प्रीमेनोपॉज क हते हैं। मेनोपॉज में यह पूरी तरह खत्म हो जाता है। यानी महिलाएं मां नहीं बन सकती है। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं।
मेनोपॉज के दौरान महिला में क्या बदलाव होते हैं
-हॉट फ्लाश महसूस होना
-गर्मी नहीं होने के बाद भी रात में पसीने से तर-बतर होना
-मूड का बदलना
-डिप्रेशन
-चिड़चिड़ापन
-चिंता
-नींद नहीं आना
-एकाग्रता में कमी
-थकान
-सिरदर्द
-वैजाइना का ड्राई होना-
-सेक्स करने की इच्छा में कमी
-बार-बार पेशाब करने की इच्छा
हालांकि मेनोपॉज के दौरान पैदा हुई कुछ समस्याएं एक साल बाद ठीक हो जाती है। इसके अलावा इससे निपटने के लिए लोग हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी लेते हैं।
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