हाल ही में हुए एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि ट्रैफिक की वजह से पैदा हुई जहरीली हवा में सांस लेने से लंबे वक्त तक कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। मेंटल हेल्थ से लेकर फिजिकल हेल्थ पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।
हेल्थ डेस्क. जहरीली हवा में सांस लेना आपकी उम्र को कम करता जा रहा है। आप हेल्थ से जुड़ी कई समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। एक स्टडी के मुताबिक यातायात से जुड़ी वायु प्रदूषण (air pollution) के संपर्क में आने से कई लॉन्ग टर्म फिजिकल और मेंटल हेल्थ से जुड़ा खतरा बढ़ जाता है। ट्रैफिक से जुड़ी एयर पॉल्यूशन में सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम2.5) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) उच्च स्तर पर होता है। जो दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याएं देता है।
हवा में मौजूद NO2 और सूक्ष्म कण सेहत को पहुंचाते हैं नुकसान
जर्नल फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ में अध्ययन को प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि ये अबतक का सबसे बड़ा अध्ययन है जिसे इंग्लैंड के 3.6 लाख से अधिक लोगों पर किया गया है। इसमें यह जांचा गया कि वायु प्रदूषण का जोखिम कई लॉन्ग टर्म स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ा है या नहीं। वायु में मौजूद सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम2.5) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) की वजह से न्यूरोलॉजिकल समस्या, सांस से जुड़ी दिक्कत, दिल और सामान्य मानसिक स्वास्थ्य स्थिति को देखा गया। स्टडी में पाया गया कि अवसाद और चिंता भी जहरीली हवा की वजह से हो सकता है।
ट्रैफिक से जुड़े वायु प्रदूषण में रहने वाले लोगों को हो सकती है कई बीमारियां
किंग्स कॉलेज लंदन में रिसर्च एसोसिएट और अध्ययन के पहले लेखक एमी रोनाल्डसन ने कहा ने बताया कि एक से अधिक लॉन्ग टर्म बीमारी जीवन की क्वालिटी को कम कर देती है। उसे ज्यादा देखभाल की जरूरत पड़ती है। हमारे शोध ने संकेत दिए कि जो लोग ट्रैफिक से जुड़े वायु प्रदूषण वाले एरिया में रहते हैं उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित होने का खतरा अधिक होता है।
मेंटल हेल्थ से लेकर फिजिकल हेल्थ हो सकता है प्रभावित
वायु प्रदूषण एक ही समय में कई अंगों और प्रणालियों को कैसे प्रभावित करता है, यह अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है।लेकिन कुछ सबूत हैं कि हवा के कणों से सूजन,ऑक्सीडेटिव तनाव और प्रतिरक्षा सक्रियण जैसे तंत्र शुरू हो सकते हैं, जो मस्तिष्क, हृदय, रक्त, फेफड़े और आंत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
अवसाद के भी बन सकते हैं शिकार
शोधकर्ताओं ने कई चरण में कई पैर्टन की पहचान की। हेल्थ से जुड़ी सबसे मजूबत लिंक श्वसन प्रणाली से जुड़ी थी। जैसे कि अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के साथ-साथ कार्डियोवास्कुलर सिस्टम जैसे एट्रियल फाइब्रिलेशन, कोरोनरी हार्ट डिजीज और हार्ट फेलियर के बीच थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि लिंक को न्यूरोलॉजिकल और सामान्य मानसिक स्थितियों जैसे स्ट्रोक, मादक द्रव्यों के सेवन, अवसाद और चिंता के साथ भी देखा गया।
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