Research: प्रेग्नेंसी में तनाव रहने पर होती है लड़कियों के जन्म लेने की संभावना

हाल में हुए एक रिसर्च से पता चला है कि प्रेग्नेंसी के दौरान तनाव में रहने वाली महिलाओं को लड़की होने की संभावना ज्यादा होती है। साथ ही, तनाव की शिकार महिलाओं को प्रीमेच्योर डिलिवरी भी होती है।
 

हेल्थ डेस्क। तनाव का असर हेल्थ पर बहुत खराब होता है। कई बार तनाव अपने आप में एक बीमारी का रूप ले लेता है। जब तनाव काफी बढ़ जाता है और हमेशा बना रहता है तो डिप्रेशन में बदल जाता है। बहरहाल, तनाव को लेकर हुए एक रिसर्च में एक नई बात सामने आई है। यह रिसर्च स्टडी प्रेग्नेंसी और तनाव को लेकर की गई। इस स्टडी से यह पता चला कि जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से जूझती हैं, उन्हें प्रीमेच्योर डिलिवरी होने के साथ ही लड़की होने की संभावना ज्यादा रहती है। 

कहां हुई यह स्टडी
यह रिसर्च स्टडी न्यूयॉर्क प्रेस्बिटेरियन कोलंबिया यूनिवर्सिटी के इरविंग मेडिकल सेंटर में की गई। इस शोध के दौरान यह पता चला कि तनाव का असर सिर्फ मानसिक ही नहीं, शारीरिक भी होता है। तनाव के दौरान शरीर की आंतरिक प्रक्रियाओं में कई तरह के बदलाव आ जाते हैं। स्टडी में प्रेग्नेंसी के दौरान तनाव और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या के लिए जिम्मेदार दूसरी वजहों के बारे में भी पता लगाने का प्रयास किया गया। रिसर्च में बतलाया गया कि प्रेग्नेंसी के दौरान तनाव की समस्या के लिए पारिवारिक और सामाजिक माहौल सबसे ज्यादा मायने रखता है। अगर पारिवारिक माहौल बढ़िया नहीं हो तो प्रेग्नेंट महिलाएं जल्दी तनावग्रस्त हो जाती हैं। वहीं, उनके सामाजिक स्तर की भी इसमें भूमिका रहती है।

Latest Videos

तनाव से प्रभावित होता है शिशु का हेल्थ
इस रिसर्च स्टडी की मुख्य शोधकर्ता कैथरीन मॉन्क का कहना है कि प्रेग्नेंट महिला जब तनाव में रहती है तो उसका सबसे बुरा असर गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसका असर भ्रूण के लिंग पर भी पड़ता है, लेकिन यह किस रूप में होता है, इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी। इस अध्ययन में बस यही देखा गया कि मानसिक तनाव से गुजरने वाली महिलाओं ने अन्य सामान्य महिलाओं की तुलना में 3 ज्यादा लड़कियों को जन्म दिया। लेकिन गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर तनाव के असर को भली-भांति समझा गया। यह पाया गया कि जो प्रेग्नेंट महिलाएं तनाव से गुजरती हैं, उनके बच्चे औसत से कम वजन के होते हैं।

डिप्रेशन में होती है प्रीमेच्योर डिलिवरी
इस स्टडी में यह भी पाया गया कि जिन प्रेग्नेंट महिलाओं में तनाव ज्यादा होता है और वह अवसाद यानी डिप्रेशन के लेवल पर पहुंच जाता है, उन्हें प्रीमेच्योर डिलिवरी होती है। इसके अलावा, बच्चे को जन्म देने के दौरान भी उनमें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं। डिप्रेशन की शिकार करीब 70 फीसदी महिलाओं में प्रीमेच्योर डिलिवरी होना पाया गया। प्रीमेच्योर डिलिवरी होने से मां के साथ शिशु का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है और उनकी विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है।

तनाव से बचना जरूरी
शोधकर्ता कैथरीन मॉन्क का कहना है कि प्रेग्नेंसी के दौरान हर हाल में तनाव से बचने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसे समय में परिवार को प्रेग्नेंट महिला का खास ध्यान रखना चाहिए, ताकि वह खुद को सिक्योर महसूस कर सके। कैथरीन मॉन्क का कहना है कि प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी महिला को परिवार के समर्थन और सहयोग की जरूरत होती है। इस दौरान हमेशा उसका उत्साह बढ़ाना चाहिए और अगर वह किसी तरह की कोई शारीरिक या मानसिक समस्या महसूस कर रही हो, तो उसकी मदद करनी चाहिए। इससे प्रेग्नेंट महिला में सकारात्मक भावनाएं पैदा होती हैं और वह खुश रहती है। 

Share this article
click me!

Latest Videos

पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News
Delhi Election 2025 से पहले Kejriwal ने दिया BJP की साजिश का एक और सबूत #Shorts
समंदर किनारे खड़ी थी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा, पति जहीर का कारनामा हो गया वायरल #Shorts
राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
Devendra Fadnavis के लिए आया नया सिरदर्द! अब यहां भिड़ गए Eknath Shinde और Ajit Pawar