Research : अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए कैंसर सेल्स की पहचान होगी संभव

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हर क्षेत्र में बढ़ता ही जा रहा है। अभी हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के शोधकर्ताओं ने कैंसर सेल्स की पहचान करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम डेवलप किया है। 

हेल्थ डेस्क। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हर क्षेत्र में बढ़ता ही जा रहा है। अभी हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के शोधकर्ताओं ने कैंसर सेल्स की पहचान करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम डेवलप किया है। 'कॉन्वपाथ' (ConvPath) नाम के इस सिस्टम को डॉक्टर जियाओ और उनकी टीम ने तैयार किया है। यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर टूल है, जिसके जरिए बीमारी के शुरुआती दौर में ही कैंसर सेल्स की पहचान कर पाना संभव हो सकेगा। डिजिटल पैथोलॉजी के क्षेत्र में इसे एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। 

इस सिस्टम के जरिए अलग-अलग तरह के कैंसर सेल्स की पहचान करने के साथ इनके विकास के पैटर्न को भी समझा जा सकेगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस इस सिस्टम से यह जाना जा सकेगा कि माइक्रो एन्वायरन्मेंट और कैंसर सेल्स के ग्रोथ के बीच क्या संबंध है, साथ ही मरीज के इम्यून सिस्टम का रिस्पॉन्स कैसा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मैनुअली इस तरह की जांच करने में समय बहुत ज्यादा लगता है और जांच के परिणामों में गलतियां होने की संभावना भी ज्यादा होती है। प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर गॉन्गुहा एंडी जियाओ ने कहा कि मैनुअली जांच में पैथोलॉजिस्ट्स स्लाइड्स के कुछ खास हिस्सों की ही जांच कर पाते हैं, पूरे स्लाइड की जांच अक्सर नहीं हो पाती है। इससे कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों के छूट जाने की संभावना हमेशा बनी रहती है, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले इस सिस्टम से पूरे स्लाइड की जांच हो जाती है। यह स्टडी इबोमेडिसिन (EbioMedicine) जर्नल में प्रकाशित हुई है। 

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पहले किसी भी ट्यूमर के माइक्रो एन्वायरन्मेंट से जुड़े पहलुओं को समझने और उन्हें क्लासिफाई करने में ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, लेकिन ConvPath के जरिए इसे जल्दी और बिना किसी चूक के कर पाना संभव हो गया है। लंग कैंसर से जुड़ी जांचों में यह काफी कारगर साबित हो रहा है। इससे कैंसर सेल्स के अलग-अलग टाइप की पहचान आसानी से हो सकती है। इससे इलाज में काफी सुविधा होगी। डॉक्टर जियाओ का कहना है कि इससे पैथोलॉजिस्ट्स को कैंसर सेल्स की सही पहचान करने और और उनका सटीक विश्लेषण करने में आसानी होगी। पहले पैथोलॉजिस्ट्स को बहुत छोटे ट्यूमर में टिश्यू इमेज से कैंसर सेल्स की पहचान करने में काफी समय लगता था, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए यह बहुत जल्दी हो सकेगा। 
 

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