Achievements@75: सुब्रमण्यम चंद्रशेखर जिन्होंने दुनिया को दी ब्लैक होल की थ्योरी

भारतीय वैज्ञानिक सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने 1972 में ब्लैक होल की थ्योरी दुनिया के सामने रखी थी। ब्लैक होल की खोज में भी भारत के इस महान वैज्ञानिक की थ्योरी बहुत काम आई थी। सुब्रमण्यम चंद्रशेखर को उनके विशेष योगदान के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया।

Manoj Kumar | Published : Aug 13, 2022 12:19 PM IST / Updated: Aug 13 2022, 06:06 PM IST

नई दिल्ली. भारत में एक से बढ़कर एक महान वैज्ञानिकों का जन्म हुआ, जिन्होंने अपनी खोज से दुनिया को एक नई दिशा दी। इन्हीं में से एक थे भारत के विख्यात खगोलशास्त्री सुब्रमण्यम चंद्रशेखर जिन्होंने ब्लैक होल की थ्योरी पहली बार दी थी। उन्हें इस महान उपलब्धि के लिए 1983 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत की आजादी के 75 साल का जश्न मनाया जा रहा है, तब उन महान उपलब्धियों को भी याद किया जा रहा है, जिन्होंने विश्व पटल पर भारत का नाम रोशन किया।

कौन थे डॉ. सुब्रमण्यम चंद्रशेखर
भारत के महान खगोलशास्त्री डॉ. सुब्रमण्यम चंद्रशेखर का जन्म लाहौर में हुआ था। 19 अक्टूबर 1910 को वे लाहौर में पैदा हुए लेकिन उनकी पढ़ाई लिखाई मद्रास में हुई। डॉ. चंद्रशेखर बचपन से काफी तेज तर्रार थे और पढ़ाई के प्रति समर्पित रहते थे। सुब्रमण्यम चंद्रशेखर पढ़ लिखे संभ्रांत परिवार से ताल्लुक रखते थे। इनके चाचा सीवी रमन को पूरी दुनिया जानती थी क्योंकि वे भी महान वैज्ञानिक थे। जब चंद्रशेखर महज 20 साल के थे, उसी वक्त उनके चाचा सीवी रमन को नोबेल पुरस्कार मिला था। यह चंद्रशेखर के लिए प्रेरणादायी बना और वे भी विज्ञान की तरफ आकर्षित हुए। अंत में उन्होंने भी नोबेल पुरस्कार हासिल किया।

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26 साल की उम्र में पढ़ाने लगे
डॉ. चंद्रशेखर मात्र 26 साल की उम्र में अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगे थे। वे 1937 में ही अमेरिक पहुंच चुके थे। 1953 में सुब्रमण्यम चंद्रशेखर को अमेरिका की नागरिकता मिल गई। वे अमेरिका में मिलने वाली फ्रीडम को लेकर बहुत उत्साहित रहते थे और अक्सर कहते थे कि यहां काम करने की आजादी मिलती है। जिसकी वजह से वे अपना रिसर्च वर्क कायदे से कर पाते हैं। डॉ. सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने 85 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। उनकी मृत्यु 21 अगस्त 1995 को हुई थी।

18 साल की उम्र में पहला रिसर्च पेपर
डॉ. सुब्रमण्यम चंद्रशेखर का पहला रिसर्च पेपर इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स में प्रकाशित किया गया, तब उनकी उम्र महज 18 साल थी। जिस समय उन्होंने ग्रेजुएशकर करना शुरू किया, उसी वक्त उनके चाचा सर सीवी रमन को नोबेल पुरस्कार मिला था। यहीं से चंद्रशेखर के भीतर महान वैज्ञानिक बनने का सपना पनपने लगा। उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की थी। 18 साल की उम्र में रिसर्च पेपर प्रकाशित करने वाले वे पहले व्यक्ति बने। वहीं महज 24 साल की उम्र में ही उन्होंने तारों के गिरने और लुप्त हो जाने की थ्योरी को सुलझा दिया। यहीं से ब्लैक होल थ्योरी का आगाज होता है और बाद में इसी उपलब्धि के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया।

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