जमशेदपुर की देवी मां का चमत्कारिक मंदिर, यहां सिर्फ महिला पुजारी करती हैं पूजा...होती है हर मुराद पूरी

26 सिंतबर से नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। जहां नौ दिन लाखों-करोड़ों देवी भक्त मां दुर्गा  की पूजा पाठ करेंगे। इस दौरान हम आपको बता रहें रहें झारखंड में जमशेदपुर के एक अनोखी माता मंदिर के बारे में...जहां सिर्फ महिला पुजारी ही पूजा करती है।
 

Arvind Raghuwanshi | Published : Sep 25, 2022 1:33 PM IST / Updated: Sep 25 2022, 07:06 PM IST

जमशेदपुर. झारखंड की लौहनगरी कहे जाने वाले जमशेदपुर में मां दुर्गा की एक ऐसा मंदिर है जिसमे सिर्फ महिला पुजारी लोगों की पूजा करवाती हैं। इस मंदिर को गोल पहाड़ी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह अद्भुत मंदिर जमशेदपुर के परसुडीह स्थित पहाड़ी के चोटी पर स्थापित है। बताया जाता है कि यह मंदिर 1900 में स्थापित की गई थी।  तब से लेकर आज तक मंदिर में पूजा के लिए भक्तों की कतार लगी रहती है। मंदिर झारखंड के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और जमशेदपुर के अलावा आसपास के इलाकों से भी बड़ी संख्या में भक्त माता गोल पहाड़ी के दर्शन के लिए आते हैं। नवरात्रि के समय माता के दर्शन के लिए यहां भक्तों की लंबी कतारें लगती है। लोगों का कहना है कि अगर सच्चे मन से माता गोल पहाड़ी से कुछ भी मांगे तो उनकी मुराद जरूर पूरी होती है। 

कैसे हुई पहाड़ी मंदिर की स्थापना
बताया जाता है की साल 1900 में रामदई नामक एक महिला उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से अपने परिवार के साथ जमशेदपुर रहने आई थी। उस समय जमशेदपुर साकची के नाम से जाना जाता था। रामदई अपने परिवार के साथ पहाड़ के नीचे एक झोपड़ी बनाकर रहने लगी। एक रात रामदई देवी को एक सपना आया जिसमें देवी ने उन्हें दर्शन दिए और बताया कि पहाड़ की चोटी में एक मूर्ति है, जिसकी रामदई को रोज पूजा करनी चाहिए। उसके बाद अगली सुबह रामदई जैसे ही पहाड़ की चोटी पर चढ़ी उन्हें एक पेड़ के नीचे एक मूर्ति दिखी। मूर्ति देख रामदई हैरान रह गई क्योंकि मूर्ति में दो आंखें बनी हुई थी। उसके बाद रामदई अपने सपने को सच मानते हुए उस मूर्ति को नियमानुसार रोज पूजा करने लगी। जैसे-जैसे इस बात की जानकारी लोगों को मिलती गई लोग वहां बड़ी संख्या में माता की पूजा के लिए आने लगे। फिर धीरे-धीरे वहां मंदिर की स्थापना की गई। जिसे आज लोग गोलपहाड़ी मंदिर के नाम से जानते हैं। बता दें कि रामदई देवी ने साल 1938 तक माता पहाड़ी की पूजा की।  इसके बाद उनकी बहू शांति देवी ने 2004 तक मां की पूजा अर्चना की। अब शांति देवी की बहू पुष्पा तिवारी मंदिर की पूजा अर्चना कर रही है। 

600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है माता का मंदिर
माता पहाड़ी का मंदिर 600 फीट की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण भक्तों को 200 सीढ़ियां चढ़कर माता का दर्शन करने जाना पड़ता है। पहाड़ की चोटी पर मंदिर स्थापित होने के कारण यहां से शहर का नजारा अद्भुत दिखाई पड़ता है। जिसके कारण काफी लोग पूजा अर्चना करने के बाद चोटी पर खड़े होकर नजारों का आनंद लेते हैं। 

मई के महीने में माता की होती है विशेष पूजा
हर साल मई के महीने में माता पहाड़ी की विशेष पूजा होती है। पांच दिन तक चलने वाली इस पूजा के दौरान माता नगर भ्रमण के लिए निकलती हैं। अलग-अलग कालोनियों के लोग माता को अपने क्षेत्र में ले जाते है।  अलग-अलग क्षेत्रों का भ्रमण करने के बाद माता पुन: मंदिर में स्थापित हो जाती हैं। पहाड़ी पर गोलपहाड़ी माता मंदिर के अलावा भगवान शिवजी का मंदिर, शीतला माता मंदिर, काली माता मंदिर, भगवान जगन्नाथ मंदिर, देवी दुर्गा मंदिर, भगवान गणेश मंदिर और भगवान हनुमान मंदिर भी स्थित हैं। मंदिर पहुंचने के रास्ते में आप 5 मुख वाले हनुमान और जगन्नाथ देव के दर्शन कर सकते हैं।

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