जन्म कुंडली के ये खास योग बनाते हैं बड़ा खिलाड़ी, दिलाते हैं नेम, फेम और पैसा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली देखकर उसके भविष्य के बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है। व्यक्ति किस क्षेत्र में अपना करियर बनाएगा या किस फील्ड में उसे कामयाबी मिलेगी।

उज्जैन. देखने में आता है कि कुछ लोगों को बचपन से ही खेल में रूचि होती है और वे आगे जाकर इसी क्षेत्र में नाम और प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। खेलों की तरफ रुझान और इसमें सफलता की वजह उनकी मेहनत के साथ ही कुंडली में ग्रहों की विशेष स्थितियां और योग भी होते हैं। इन विशेष योगों के चलते ही व्यक्ति को खेलों में सफलता मिलती है। आज हम आपको इन्हीं ग्रह योगों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

लग्न एवं लग्नेश 
जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता की पहली शर्त कुंडली में लग्न और लग्नेश का मजबूत स्थिति में होना होती है। इन दोनों से व्यक्ति के बेहतर स्वास्थ्य का पता चलता है। इसीलिए, कुंडली में लग्न एवं लग्नेश का शुभ प्रभाव में होना, शुभ ग्रहों की दृष्टि में होना एवं अन्य प्रकार से बली होना एक अच्छे खिलाड़ी के लिए आवश्यक है।

तृतीय भाव यानी पराक्रम 
अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए तृतीय भाव खासा अहम हो जाता है, जिसे पराक्रम, साहस आदि का भाव कहा जाता है। एक खिलाड़ी में साहस का होना जरूरी होता है। खेल के मैदान में अपने साहस से ही विरोधी पर जीत हासिल की जा सकती है। इसलिए कुंडली में तृतीय भाव और उसके स्वामी भी कुंडली में बलवान एवं सुदृढ़ स्थिति में होने चाहिए।

पंचम भाव यानी बुद्धि 
पंचम भाव विद्या एवं बुद्धि का स्थान होने के साथ ही भावेत भावम के सिद्धांतसे देखें तो यह तृतीय का तृतीय है, जो व्यक्ति में खेल प्रतिभा एवं दक्षता का प्रतिनिधित्व करता है। अतः पंचम भाव पर शुभ प्रभाव, कुंडली में पंचमेश की शुभ एवं बलवान स्थिति, उसका अन्य संबंधित भावों एवं ग्रहों से संबंध आदि व्यक्ति में प्रचुर मात्रा में स्वाभाविक खेल प्रतिभा एवं खेल संबंधी मामलों में दक्षता पैदा करता है।

छठा भाव यानी प्रतियोगिता 
छठा भाव विरोधियों, प्रतियोगिता और संघर्ष का स्थान है। किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा में विरोधी पक्ष पर हावी होकर संघर्ष में जीतने में इसकी भूमिका अहम हो जाती है। इसीलिए छठे भाव और उसके स्वामी की कुंडली में अच्छी स्थिति एक खिलाड़ी की सफलता में अहम हो जाती है।

नवम, दशम और एकादश भाव
कुंडली का नवम भाव भाग्य भाव के रूप में जाना जाता है। इससे ऐश्वर्य की प्राप्ति और हर तरह की सफलता का विचार भी किया जाता है। दशम भाव कर्म और प्रसिद्धि का, जबकि एकादश सभी तरह की उपलब्धियों एवं लाभ का स्थान है। अतः कुंडली में इन भावों एवं भाव स्वामियों का, बलवान हो कर, खेल के कारक भावों एवं भावेशों तथा ग्रहों से संबंध खेल के माध्यम से सफलता, ख्याति, उपलब्धि एवं लाभ दिलाता है।

ऊर्जा, साहस का कारक मंगल ग्रह 
मंगल व्यक्ति को ऊर्जा, ताकत, पराक्रम, वीरता और आक्रामकता देता है। एक खिलाड़ी में इन गुणों का होना परम आवश्यक है। पराक्रम भाव का स्थायी कारक भी मंगल ही है। इन्हीं कारणों से मंगल को खेल का सर्वप्रमुख कारक ग्रह माना गया है। अतः एक अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए कुंडली में मंगल की बलवान स्थिति आवश्यक है। बली मंगल का पंचम, षष्ठ, नवम, दशम या लग्न भाव से संबंध खेल प्रतिभा को उत्कृष्टता प्रदान करता है।

 

Latest Videos

कुंडली के योगों के बारे में ये भी पढ़ें...

जिन लोगों की कुंडली में होते हैं ये अशुभ योग, उन्हें जीवन भर करना पड़ता है गरीबी का सामना


किस ग्रह दशाओं और योग में मिलती है नौकरी, बिजनेस या राजनीति में सफलता, जानिए खास बातें

ये हैं जन्म कुंडली के वो 11 योग जो आपको बनाते हैं धनवान, देते हैं हर सुख-सुविधा

ग्रहों की दृष्टि का भी पड़ता है हमारे जीवन पर शुभ-अशुभ प्रभाव, जानिए कैसे होता है असर

मेष लग्न की कुंडली में शुभ और कर्क में अशुभ फल देते हैं शनिदेव, जानिए आपकी लग्न कुंडली पर शनि का प्रभाव

Share this article
click me!

Latest Videos

कागजों पर प्लान, सिर्फ ऐलान... क्यों दिल्ली-NCR को नहीं मिल रही धुआं-धुआं आसमान से मुक्ति?
फर्स्ट टाइम तिरुपति बालाजी के दरबार पहुंचे Arvind Kejriwal, बताया क्या मांगी खास मन्नत
अब नहीं चलेगा मनमाना बुलडोजर, SC के ये 9 रूल फॉलो करना जरूरी । Supreme Court on Bulldozer Justice
वोटिंग के बीच नरेश मीणा ने SDM को ही मार दिया थप्पड़, जानें वायरल वीडियो का पूरा सच
SDM थप्पड़कांड के बाद हर तरफ बवाल, ठप हो गया राजस्थान और नरेश मीणा को घसीटते हुए ले गई पुलिस