Maa Brahmacharini Pujan Vidhi 2022 : 3 अप्रैल को करें देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा, ये है विधि और शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2022) के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी (Goddess Brahmacharini) की पूजा की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि की द्वितिया तिथि 3 अप्रैल, रविवार को है। ये देवी नवदुर्गा का दूसरा स्वरूप है।

उज्जैन. देवी ने शिवजी को पति रूप में पाने के लिए हजारों सालों तक बेल-पत्र और फिर निर्जल और निराहार (बिना कुछ खाए-पिए) रहकर तपस्या की, जिसके कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया। इनके दाहिने हाथ मे जप की माला होती है और बांए हाथ मे कमंडल रहता है। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा से मन को शांति मिलती है और सभी तरह के तनाव दूर होते हैं। ये देवी गणेशजननी, नारायनी, विष्णुमाया आदि नामों से प्रसिद्ध हैं। आगे जानिए देवी ब्रह्माचारिणी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें...

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3 अप्रैल के शुभ मुहूर्त (चौघड़िए के अनुसार)
सुबह 7:30 से 9:00 बजे तक- चर
सुबह 09:00 से 10:30 तक- लाभ
सुबह 10.30 से  दोपहर 12.00 – अमृत
दोपहर 01.30 से 03:00 बजे तक- शुभ
 

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ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा विधि
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय हाथ में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें। देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिंदूर, अर्पित करें। इसके बाद सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं। इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं और इन मंत्रों से प्रार्थना करें।
1. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
2. दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
इसके बाद देवी मां को प्रसाद चढ़ाएं। प्रदक्षिणा करें यानी 3 बार अपनी ही जगह खड़े होकर घूमें। प्रदक्षिणा के बाद कपूर आरती करें। 

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ये उपाय करें
नवरात्रि के दूसरे दिन देवी को ईख (गन्ना) का भोग लगाएं। गन्ना न हो तो उससे बनने वाले पदार्थों जैसे गुड़ या शक्कर का भोग लगा सकते हैं। इन चीजों का दान भी करना चाहिए।

ब्रह्माचारिणी देवी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए। कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी।
 

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