सार
हर धर्म में एक अलग तारीख को नववर्ष मनाने की परंपरा है। इन सभी से कोई-न-कोई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण जुड़ा होता है। सनातन यानी हिंदू धर्म को मानने वाले लोग चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नववर्ष का आरंभ मानते हैं। इस बार ये तिथि 2 अप्रैल, शनिवार को है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2022) का भी आरंभ होता है। इसका वैज्ञानिक महत्व भी है क्योंकि इस समय प्रकृति में सकारात्मक बदलाव आते हैं। इसलिए हिदू धर्म में इसी समय नववर्ष मनाने की परंपरा है।
उज्जैन. देश के अलग-अलग हिस्सों में हिंदू नववर्ष अलग-अलग नामों से मनाया जाता है जैसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2022) और दक्षिण भारत में उगादि (Ugadi 2022) आदि। हिंदू नववर्ष को लेकर और भी कई मान्यताएं हैं जैसे- शास्त्रों के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही हुआ था। वहीं धर्मराज युधिष्ठिर भी इसी दिन राजा बने थे। उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) के सम्राट विक्रमादित्य ने भी विक्रम संवत् का प्रारम्भ इसी तिथि से किया था। महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन की गई थी। और भी कई बातें इस तिथि को विशेष बनाती हैं। आगे जानिए गुड़ी पड़वा से जुड़ी खास बातें…
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यहां गुड़ी पड़वा से शुरू होता है हिंदू नव वर्ष
- महाराष्ट्र में हिंदू नव वर्ष गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग सुबह स्नान कर सोला (रेशमी वस्त्र) पहनकर अपने घर में छत पर या फिर आंगन में एक 5 से 6 फीट ऊंचा डंडा खड़ा करते हैं।
- उसे वस्त्र से लपेटते हैं। उसके ऊपर कटोरी, गिलास या लोटा उलटा कर लगा देते हैं एवं काजल से आंख, नाक, कान व मुंह की आकृति बनाते हैं।
- इसके बाद इसकी पूजा की जाती है व भगवान से पूरा साल अच्छा बीतने की प्रार्थना की जाती है। इस दिन महाराष्ट्रीयन परिवारों में विशेष रूप से गुड़ भात या केशरी भात (मीठा चावल) व पोरण पोली बनाई व खिलाई जाती है।
- शाम को लोग एक-दूसरे के घर जाकर नव वर्ष की बधाई देते हैं। मेहमानों को मिठाई खिलाकर, गुलाब जल छिड़ककर व इत्र लगाकर उनका सम्मान किया जाता है।
- गुड़ी पड़वा एक तरह से वर्ष भर की शुभकामनाएं देने का पर्व है। इस पर्व से जुड़ा एक दोहा इस प्रकार है-
आज आहे गुडीपाड़वा गोड़ बोल गाढ़वा।
अर्थात आज गुड़ी पड़वा है, आज मीठे शब्दों का प्रयोग कीजिए।
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