हिंदू धर्म ग्रंथों में मृत्यु के बाद आत्मा की कई गतियां बताई गई हैं जैसे जो व्यक्ति अच्छे कर्म करता है, उसे देवलोक, ब्रह्मलोक और वैकुंठ में स्थान मिलता है, अगर कोई व्यक्ति बुरे कर्म करता है तो उसकी आत्मा नरक में जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली देखकर भी ये बातें जानी जा सकती है।
उज्जैन. हिंदू धर्म ग्रंथों में मृत्यु के बाद आत्मा की कई गतियां बताई गई हैं जैसे जो व्यक्ति अच्छे कर्म करता है, उसे देवलोक, ब्रह्मलोक और वैकुंठ में स्थान मिलता है, अगर कोई व्यक्ति बुरे कर्म करता है तो उसकी आत्मा नरक में जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली देखकर भी ये बातें जानी जा सकती है। आगे जानिए इससे जुड़ी खास बातें…
1. यदि व्यक्ति की कुंडली के लग्न में उच्च राशि का चंद्रमा हो और कोई पापग्रह उसे देख नहीं रहा हो तो ऐसे जातक मरने के बाद सद्गति प्राप्त करते हैं।
2. कुंडली में कहीं पर भी कर्क राशि में गुरु स्थित हो तो व्यक्ति मृत्यु के बाद उत्तम कुल में जन्म लेता है। इसके अलवा यदि जन्म कुंडली में 4 ग्रह उच्च के हों तो श्रेष्ठ मृत्यु का वरण करता है।
3. यदि किसी की कुंडली के लग्न में उच्च का गुरु चंद्र को पूर्ण दृष्टि से देख रहा हो एवं अष्टम स्थान ग्रहों से रिक्त हो तो ऐसा व्यक्ति पुण्य कार्य करते हुए सद्गति प्राप्त करता है।
4. यदि किसी की कुंडली के लग्न में गुरु और चंद्र चतुर्थ भाव में और तुला का शनि एवं सप्तम भाव में मकर राशि का मंगल हो तो जीवन में मृत्यु उपरांत देवलोक में जाता है।
5. यदि व्यक्ति की कुंडली के अष्टम भाव में राहु है तो परिस्थिति के कारण पुण्यात्मा बन जाता है और मरने के बाद राजकुल में जन्म लेता है।
6. यदि व्यक्ति की कुंडली के अष्टम भाव पर किसी भी प्रकार से शुभ अथवा अशुभ ग्रहों की दृष्टि नहीं पड़ रही रहो और वह भाव ग्रहों से रिक्त हो तो ऐसे व्यक्ति की आत्मा ब्रह्मलोक की यात्रा करती है।
7. कुंडली के अष्टम भाव को गुरु, शुक्र और चंद्र, ये तीनों ग्रह देखते हों या अष्टम भाव को शनि देख रहा हो तथा अष्टम भाव में मकर या कुंभ राशि हो तो ऐसा व्यक्ति मृत्यु के बाद विष्णुलोक प्राप्त करता है।
8. यदि व्यक्ति की कुंडली में ग्यारहवें भाव में सूर्य-बुध हों, नवें भाव में शनि तथा अष्टम भाव में राहु हो तो मृत्यु के पश्चात देवलोक या ब्रह्मलोक को गमन करता है।
9. कुंडली में बारहवां भाव शनि, राहु या केतु से युक्त हो फिर अष्टमेश (कुंडली के आठवें भाव का स्वामी) से युक्त हो अथवा षष्ठेश (छठे भाव का स्वामी) से दृष्ट हो तो मृत्यु के बाद आत्मा नरक की यात्रा करती है।
10. यदि कुंडली में गुरु लग्न में हो, शुक्र सप्तम भाव में हो, कन्या राशि का चंद्रमा हो एवं धनु लग्न में मेष का नवांश हो तो ऐसे व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है।
कुंडली के योगों के बारे में ये भी पढ़ें
जिसकी कुंडली में होता है इन 5 में से कोई भी 1 योग, उसे भुगतने पड़ते हैं अशुभ परिणाम
किस उम्र में हो सकती है आपकी शादी, जान सकते हैं जन्म कुंडली के इन योगों से
जन्म कुंडली में अलग-अलग ग्रहों के साथ मिलकर शनि बनाता है ये 8 शुभ और अशुभ योग, जानें इनका आप पर असर
धन, सुख, वैभव और भौतिक सुख का निधार्रण करता है होरा लग्न, जानिए इससे जुड़ी खास बातें
जन्म कुंडली में होते हैं 12 भाव, जानिए इनमें से कौन-सा सुख और कौन-सा दुख का होता है
जानिए जन्म कुंडली के उन योगों के बारे में जो किसी को भी बना सकते हैं मालामाल
हर 12वीं कुंडली में बनता है ये शुभ योग, धनवान और किस्मत वाले होते हैं इस योग में जन्में लोग