सूर्य-चन्द्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहते हैं। योग 27 प्रकार के होते हैं। 27 योगों में से कुल 9 योगों को अशुभ माना जाता है तथा सभी प्रकार के शुभ कामों में इनसे बचने की सलाह दी गई है। व्यतिपात योग भी इन्हीं में से एक है।
उज्जैन. व्यतिपात योग में किए जाने वाले कार्य से हानि ही हानि होती है। अकारण ही इस योग में किए गए कार्य से भारी नुकसान उठाना पड़ता है। आगे जानिए ये योग जन्म कुंडली के जिस भाव में होता है, उसके अनुसार, क्या फल देता है…
1. जब व्यतिपात योग कुंडली के पहले भाव में होता है तो मनुष्य उग्र हो सकता है। अपने रिश्तेदारों तथा करीबी लोगों से ईर्ष्या कर सकता है एवं दुःख से पीड़ित हो सकता है।
2. जब व्यतिपात योग कुंडली के दूसरे भाव में होता है तो व्यक्ति पित्त से प्रभावित अथवा पाचन संबंधी समस्याओं से प्रभावित हो सकता है। ऐसा व्यक्ति अत्यंत भोगी तथा दूसरों का सम्मान नहीं करता है।
3. जब तीसरे भाव में व्यतिपात योग बनता है तो व्यक्ति बुद्धिमान होता है। वह अत्यंत बलवान, साहसी, तथा धर्मार्थी होता है। ऐसा व्यक्ति राजसी एवं धनवान होते हैं।
4. जब व्यतिपात योग चौथे भाव में हो तो व्यक्ति बीमारी से पीड़ित रहता है। ऐसा व्यक्ति संतान तथा अन्य सुख से वंचित रह जाता है।
5. व्यतिपात योग जब पांचवे घर में हो तो व्यक्ति अत्यंत सुंदर होता है किन्तु पीड़ित होता है। ऐसा इंसान क्रूर, बेशर्म होने के साथ पित्त, वात से पीड़ित होते हैं।
6. कुंडली में जब छठें भाव में व्यतिपात योग होता है तो ऐसा व्यक्ति शांत स्वभाव का होने के साथ अन्य कलाओं में निपुण होता है।
7. सातवें घर में व्यतिपात योग होने पर व्यक्ति कामुक, महिलाओं के नियंत्रण में होता है कभी कभी दूसरों का दुश्मन बन जाता है।
8. आठवें भाव में व्यतिपात योग होता है तो व्यक्ति की आंखें विकृत होती है अथवा उसे दुर्भाग्य का सामना करना पड़ता है। अक्सर ऐसे व्यक्ति रक्त से संबंधित समस्याओं का सामना करता है।
9. जब नौवें भाव में व्यतिपात योग होता है, ये लोग ज्ञानी तथा महिलाओं को प्रिय होते हैं।
10. दसवें भाव में व्यतिपात योग होने पर व्यक्ति अधिक समृद्ध होते है तथा ऐसे लोगों का झुकाव धार्मिक तथा शुद्ध भाव वाले होते हैं। ऐसे लोग अक्सर ज्ञानी अथवा धर्म प्रचार प्रसार वाले होते हैं।
11. जब व्यतिपात योग ग्यारहवें भाव में होता है तो व्यक्ति अत्यंत अमीर, मेहनती एवं कठोर होता है। ऐसे लोग संगीत प्रेमी होते हैं।
12. व्यतिपात योग के बारहवें घर में होने पर व्यक्ति विकृत शरीर वाला हो सकता है। ऐसे लोग दूसरों से जलने वाले तथा आलोचक होते हैं।
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