500 मसाले हुए बैन! विदेशों ने ठुकराए Indian Spices, सेहत से बड़ा खिलवाड़

500 Indian Spices ban?: कई देशों में हेल्थ जोखिम के कारण कुछ मसालों की बिक्री बंद कर दी गई है, भारत में भी 12% से ज़्यादा मसालों के नमूने गुणवत्ता परीक्षण में फेल हुए हैं। विदेशों ने भारतीय मसालों पर कड़ी निगरानी रखना शुरू कर दी है।

हेल्थ डेस्क: कई देशों द्वारा हेल्थ जोखिम के कारणों को ध्यान में रखते हुए ब् मसालों की बिक्री बंद करने का फैसला किया गया है। इसी वजह से कम से कम 500 या 12 प्रतिशत मसाले के नमूने भारतीय अधिकारियों द्वारा किए गए परीक्षण के गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को पूरा करने में विफल रहे हैं। इंडियन फूड सिक्योरिटी और मानक प्राधिकरण द्वारा कई मसाला मिक्सचर का निरीक्षण, सेंपल और परीक्षण तब किया गया जब हांगकांग ने अप्रैल में एमडीएच और एवरेस्ट ब्रांडों द्वारा मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला और फिश करी मसाला की बिक्री ज्यादा हाई लेवल के कीटनाशकों के कारण बंद कर दी थी। भारत के सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत रॉयटर्स द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, मई और जुलाई की शुरुआत के बीच परीक्षण किए गए 4,054 नमूनों में से 474 गुणवत्ता और सुरक्षा मापदंडों पर खरे नहीं उतरे।

FSSAI ने अपने द्वारा टेस्ट किए गए मसालों के ब्रांडों की डिटेलिंग नहीं दी है, लेकिन कहा है कि वह संबंधित कंपनियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई कर रहा है। गैर-अनुरूप सेंपल पर कार्रवाई की गई है। जियोन मार्केट रिसर्च के अनुसार, भारत का घरेलू मसाला बाजार 10.44 बिलियन डॉलर का है। मार्च में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में मसालों और मसाला उत्पादों का निर्यात रिकॉर्ड 4.46 बिलियन डॉलर का था।

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MDH, एवरेस्ट मसालों पर बैन

गर्मियों की शुरुआत में हांगकांग द्वारा कार्रवाई किए जाने के बाद, यूनाइटेड किंगडम ने न्यूजीलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत से मसाला आयात पर नियंत्रण कड़ा कर दिया है। जिन्होंने कहा कि वे ब्रांडों से संबंधित मुद्दों पर विचार कर रहे हैं।

मसालों में कौन से कीटनाशक पाए गए?

मसालों में एथिलीन ऑक्साइड बड़ी मात्रा में पाई गई थी, जो एक मीठी महक वाली रंगहीन गैस है इसका कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। FSSAI द्वारा एकत्र किए गए कई नमूनों ने कहा कि उन्हें 28 मान्यता प्राप्त लैब में नमूनों में इसका कोई निशान नहीं मिला है। एक्सपर्ट के अनुसार, गैस के सीधे सांस लेने से लिम्फोमा, स्तन कैंसर और ल्यूकेमिया का खतरा होता है। एथिलीन ऑक्साइड से श्वसन संबंधी जलन, खांसी, सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ों को नुकसान भी होता है। एथिलीन ऑक्साइड अधिकांश वायरस, बैक्टीरिया, बैक्टीरिया के बीजाणुओं और कवक को मारता है। यह कोशिका झिल्ली को चीर कर सूक्ष्मजीवों को मारता है। इस गुण के कारण, निर्माता अक्सर इसका उपयोग मसालों और अनाज जैसे सूखे फूड आइटम के साथ-साथ कैथेटर, सीरिंज और सर्जिकल किट जैसी चिकित्सा आपूर्ति को कीटाणुरहित करने के लिए करते हैं। 

क्रोनिक एक्सपोजर कैंसर, प्रजनन संबंधी प्रभाव, न्यूरोटॉक्सिसिटी और संवेदीकरण की घटना से भी जुड़ा हुआ है। भारत सहित अधिकांश देशों में फूड आइटम में एथिलीन ऑक्साइड का उपयोग बैग है। हालांकि, कई लोगों का मानना ​​है कि कीटनाशक मसालों के मिश्रण में इसलिए आया होगा क्योंकि इसका इस्तेमाल फसलों पर किया गया या फिर मसालों को कीटाणुरहित करने के लिए सस्ते एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया गया। 

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