Male infertility: पुरुष बांझपन से जुड़े इन 5 मिथकों की यह है सच्चाई, हर आदमी को जानना है जरूरी

बांझपन एक कपल की एक साल की कोशिश के बाद भी नेचुरल प्रेग्नेंसी नहीं होना होता है। कई रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले 3-4 दशकों में पुरुष बांझपन की समस्या में काफी बढ़ोतरी हुई है।

हेल्थ डेस्क. पिछले 3 से 4 दशकों में पुरुषों में बांझपन (Male infertility) की समस्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। खराब लाइफस्टाइल समेत कई कारण इसके पीछे हैं। इसके साथ प्रदूषित वातावरण भी इस जोखिम को बढ़ाते हैं। हम यहां पर मेल इनफर्टिलिटी से जुड़े मिथक के बारे में जानते हैं। एक्सपर्ट ने इन मिथकों का सच बताया है।

मिथक - बढ़ती उम्र के साथमेल इनफर्टिलिटी पर असर नहीं पड़ता है?

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पुरुष प्रजनन क्षमता को लेकर उम्र के असर को कम आंका गया है। आम धारणा है कि पुरुष की फर्टिलिटी पर उम्र का असर नहीं होता है। हालांकि यह कहा जाता है कि महिलाओं में एग्स की संख्या सीमित है और यह उम्र के साथ कम होती है। लेकिन कई स्टडीज से पता चला है कि बढ़ती उम्र के साथ स्पर्म की क्वालिटी और संख्या में गिरावट आती है। इसके अलावा, अंडकोष में उत्पादित एक महत्वपूर्ण पुरुष सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट देखी गई है।

मिथक - शारीरिक फिटनेस प्रजनन की क्षमता को तय करती है?

फिजिकल यानी शारीरिक फिटनेस का मतलब होता है विभिन्न बीमारियों से मुक्ति, एक मजबूत इम्युन सिस्टम और ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेबल का अच्छा होना। लेकिन यह जानना जरूरी है कि इन सबके बावजूद भी हेल्दी स्पर्म और बेहतर प्रजनन क्षमता की उपस्थिति की गारंटी नहीं देती है।

मिथक- बांझपन हमेशा एक महिला समस्या है?

यह प्रचलित ग़लतफ़हमी हमारे सामाजिक ताने-बाने में लंबे समय से कायम है। आज भी, कई लोग मानते हैं कि बांझपन केवल महिलाओं से संबंधित है। इस ग़लतफ़हमी को दूर करना और यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि बांझपन किसी विशिष्ट लिंग तक ही सीमित नहीं है; बल्कि, यह महिलाओं और पुरुषों दोनों में दिख सकता है।

मिथक - किसी पुरुष के व्यवसाय का प्रजनन दर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है?

स्पर्म हेल्थ पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कंपाउंड में ऑर्गनोफॉस्फेट जैसे कीटनाशक, फ़ेथलेट्स और बीपीए जैसे प्लास्टिक, साथ ही कैडमियम और सीसा जैसी भारी धातुएं शामिल हैं। विद्युत चुम्बकीय विकिरण, गर्मी और यांत्रिक कंपन के संपर्क से जुड़े पेशे भी पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।

मिथक- नियमित मास्टरबेट से स्पर्म की संख्या कम होती है

यह कहा जाता है कि बार-बार मास्टरबेट करने से स्पर्म की संख्या में कमी आती है। लेकिन यह सिर्फ एक मिथक है। स्पर्म की क्वालिटी पर यह पॉजिटिव इफेक्ट देता है। सीमित स्खलन अंतराल निष्क्रिय शुक्राणु के संचय में योगदान कर सकता है। विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार, गर्भधारण करने के इच्छुक जोड़ों को स्पर्म की क्वालिटी की ताजगी सुनिश्चित करने के लिए हर दूसरे दिन अंतरंगता में शामिल होने की सलाह दी जाती है।

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