
इंडियन वूमेन क्रिकेट टीम का शानदार मैच देख हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। मैच जीतने के बाद हर कोई इंडियन वूमेन क्रिकेट टीम को बधाई दे रहा है। जब मैच के बाद क्रिकेटर जेमिमा रोड्रिग्स ने अपने एंग्जाइटी प्रॉब्लम के बारे में बात की, तो एक बार फिर से लोग सोचने पर मजबूर हो गए। भले ही एंग्जाइटी जैसा शब्द आम समस्या जैसा महसूस हो लेकिन यह गंभीर भी साबित हो सकता है। अगर बीमारी पर ध्यान ना दिया जाए, तो व्यक्ति कई बार खतरनाक कदम उठाने पर मजबूर हो जाता है। आपको बताते चले कि स्टडी में ये बात सामने आ चुकी है कि भारत में 2017 में लगभग 44.9 मिलियन (4.49 करोड़) लोग चिंता विकार से ग्रस्त पाए गए। जानिए एंग्जाइटी के क्या लक्षण दिखते हैं।
बेचैनी या चिंता होना हमारे समाज में बेहद आम बात मानी जाती है। आपको बताते चले कि यह एक सामान्य मानसिक अवस्था है। लेकिन जब यह बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, तो व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर देती है। आइए जानते हैं कि एंग्जाइटी के आखिरकार सामान्य लक्षण क्या दिखते हैं।
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अगर किसी व्यक्ति को एंग्जायटी की समस्या है तो उसे पूरी तरह से ठीक करना संभव नहीं लेकिन इलाज बहुत मदद करता है।
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) : जो लोग एंग्जायटी के कारण अधिक नकारात्मक सोचते हैं, उनका व्यवहार बदलने के लिए कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी असरदार साबित होती है।
साइकेट्रिक एक्सर्ट से लें मदद: जैसे शरीर को ठीक करने के लिए डॉक्टर की जरूरत पड़ती है, ठीक वैसे ही मानसिक समस्या होने पर साइकेट्रिक से इलाज कराना चाहिए।
टॉक थरेपी: एंग्जाइटी की समस्या से निपटने के लिए टॉक थरेपी बेहद कारगर साबित होती है। डॉक्टर को लक्षण बताने के बाद इस बारे में बात करें।
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