
साल का आखिरी वक्त त्योहार, छुट्टियों, गिफ्ट और मिलना-जुलना हर जगह जश्न के माहौल से भरा रहता है। ऐसे समय में हम मान लेते हैं कि हर कोई खुश होगा। लेकिन असलियत यह है कि बहुत से लोग इस मौसम में खुश नहीं, बल्कि ज्यादा अकेलापन, तनाव, चिंता या उदासी महसूस करते हैं। इसे सायकोलॉजी में Holiday Depression, Holiday Stress या Holiday Blues कहा जाता है। हेल्थ एक्सपर्स के अनुसार यह एक नॉर्मल लेकिन इमोशनल रूप से भारी एक्सपीरियंस है, जो साल के अंत में कई लोगों को अफेक्ट करता है। जानें हॉलिडे डिप्रेशन आखिर क्यों होता है?
त्योहार आमतौर पर परिवार और नजदीकी लोगों के साथ मनाए जाते हैं। लेकिन अगर कोई व्यक्ति परिवार से दूर हो, किसी प्रियजन को खो चुका हो, सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस कर रहा हो, तो त्योहारों का समय उसकी उदासी को और गहरा कर देता है। यह Holiday Blues का सबसे बड़ा कारण है।
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गिफ्ट खरीदना हो, पार्टी में जाना हो, तैयारियां करना हो या खर्च बढ़ना हो। ये सब होता तो खुशी के लिए है, पर कई बार यही चीजें तनाव का सबसे बड़ा कारण बन जाती हैं। कम बजट, ज्यादा उम्मीदें और इमोशनल दबाव से यह तनाव लोगों की एक्साइटमेंट को कम कर देता है और मूड गिरा देता है।
त्योहारों में काम कम नहीं होता। इस दौरान घर की सफाई, रिश्तेदारों के फोन, खाना बनाना, गिफ्ट लिस्ट, ऑफिस और घर की दोहरी जिम्मेदारी रहती है। यह सब हमारी नींद, रूटीन और एनर्जी को डिस्टर्ब कर देता है। जिससे मन थका, चिड़चिड़ा और भारी महसूस कर सकता है।
सर्दियों में दिन छोटे होते हैं, धूप कम मिलती है और ठंड की वजह से लोग बाहर कम निकलते हैं। इससे शरीर में सेरोटोनिन कम बनता है जो मूड को प्रभावित करता है। यह सीजनल डिप्रेशन का बड़ा कारण है।
सोशल मीडिया पर सबकी खुश तस्वीरें दिखती हैं लेकिन यह पूरी सच्चाई नहीं होती। जब कोई पहले से थोड़ा उदास हो और ये तस्वीरें देखे तो उसे लगता है कि वह अकेला है, सभी लोग उससे ज्यादा खुश हैं। यह सोच हॉलिडे डिप्रेशन को और गहरा कर देती है।
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