ओरल सेक्स फोरप्ले का एक आम तर पर किया जाने वाला काम है। पार्टनर को खुश करने के लिए जननांग क्षेत्र को चूमना शामिल होता है। सवाल है कि क्या ओरल सेक्स से गले का कैंसर होता है। आइए जानते हैं।
हेल्थ डेस्क.भले ही ओरल सेक्स से पार्टनर को खुशी मिलती है, लेकिन यह सुरक्षित बिल्कुल नहीं है। इससे एटपीवी फैल सकता है जिससे कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। एचपीवी सबसे आम यौन संचारित वायरस है। कई स्टडी ने ओरल सेक्स और बढ़े हुए गले के कैंसर के खतरों के बीच संबंध को स्थापित कर दिया है। ओरल सेक्स के जोखिम के बारे में हर कपल को पता होना चाहिए। ताकि वो यौन संक्रमण या कैंसर को लेकर सतर्क हो सकें।
स्टडी में पता चला है कि कुछ हाई रिस्क वाले एचपीवी स्ट्रेन जैसा कि टाइप 16 और 18 सर्वाइकल कैंसर से जुड़े हैं। जबकि अन्य प्रकार जैसे टाइप 6 और 11 को गुप्तांग के मस्से और श्वसन पेपिलोमाटोसिस का कारण माना जाता है। वायरस ऑरोफरीनक्स की म्यूकोसल कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है, जिससे लगातार संक्रमण हो सकता है और, कुछ मामलों में कैंसर हो सकता है।
क्या ओरल सेक्स सुरक्षित है
ओरल सेक्स को सुरक्षित नहीं माना गया है। इस प्रकार का सेक्स यौन संचारित संक्रमण (STI) फैला सकता है। जैसे-
प्रमेह (gonorrhea)
जननांग हर्पीज़ (genital herpes)
उपदंश (syphilis)
क्लैमाइडिया (chlamydia)
एचपीवी (HPV)
वैक्सीन लगाकर एचपीवी से बचाव
हालांकि एचपीवी वैक्सीन लगाकर एचपीवी संक्रमण के जोखिम को कम कर सकता है। अमेरिका में वैक्सीन गार्डासिल 9 वैक्सीन लगाया जाता है। इसके अलावा ओरल सेक्स करते वक्त कंडोम , डेंटल डैम या अन्य अवरोधक तरीकों का उपयोग कर सकता है। यह एसआईटी के जोखिम को कम कर सकता है।
एचपीवी और कैंसर
एचपीवी संक्रमण सीधे तौर पर मुंह के कैंसर का कारण नहीं बनता है। वायरस संक्रमित सेल्स में परिवर्तन पैदा करता है। जिसकी वजह से वायरस की आनुवंशिक सामग्री कैंसर कोशिकाओं का हिस्सा बन जाती है, जिससे वे बढ़ती हैं। एचपीवी के कारण अमेरिका में 70 प्रतिशत गले या ऑरोफरीन्जियल कैंसर होता है। ये कैंसर टॉन्सिल या जीभ के पिछले हिस्से में विकसित होते हैं।
गले में कैंसर के अन्य कारण
धूम्रपान: गले के कैंसर सहित सिर और गर्दन के सभी कैंसर के लिए तम्बाकू धूम्रपान सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक है। नियमित और लॉन्ग टर्म तक धूम्रपान करने वालों में गले का कैंसर विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।
खतरनाक पदार्थों के संपर्क में आना: लकड़ी की धूल और छीलन,प्लास्टिक, धातु और कपड़ा उद्योगों में उपयोग किए जाने वाले कुछ रसायन से भी गले का कैंसर हो सकता है।
शराब: शराब के निरंतर सेवन से गले का कैंसर बढ़ जाता है। इथेनॉल अल्कोहल का एक प्रकार है जो शराब में पाया जाता है। इथेनॉल भी गले के कैंसर का जोखिम बढ़ा सकता है।
गले के कैंसर का लक्षण
मुंह में घाव या अल्सर हो जाता है जो 3 सप्ताह के भीतर ठीक नहीं होता है
मुँह के सॉफ्ट टिश्यू का रंग फीका पड़ जाना
निगलते समय दर्द होना और ऐसा महसूस होना मानो गले में खाना फंस गया हो
टॉन्सिल में बिना दर्द के सूजन
चबाते समय दर्द होना
मुंह और होठों में सुन्नता का अहसास होना
लगातार खांसी के साथ गले में खराश या कर्कश आवाज
मुंह में कोई सूजन या गांठ, साथ ही गर्दन के बाहर दर्द रहित गांठ
एक तरफा कान का दर्द जो कई दिनों से अधिक समय तक बना रहता है
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