डायबिटीज पेशेंट को है इस कैंसर का अधिक जोखिम, सावधान रहने और जांच कराने की है जरूरत

एक्सपर्ट को विश्वास है कि टाइप 2 डायबिटीज और कोलोरेक्टल (कोलेन) कैंसर के बीच मजबूत कनेक्शन है। कुछ ऐसे तरीके हैं जिससे डायबिटीज पेशेंट इस जानलेवा बीमारी से दूर रह सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।

हेल्थ डेस्क. डाबिटीज एक गंभीर हेल्थ इश्यू पूरी दुनिया में बनता जा रहा है। हर सल इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। बुजुर्ग ही नहीं अब कम उम्र के लोग और बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज अपने साथ कई और हेल्थ समस्या को लेकर सामने आ रही है।

डायबिटीज वैश्विक स्तर पर होने वाली गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, साल-दर-साल इसके रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कम उम्र के लोग यहां तक की बच्चे भी इसके शिकार पाए जा रहे हैं, जोकि गंभीर समस्या हो सकती है। डायबिटीज अपने साथ कई और भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या लेकर आती है। इसका असर दूसरे अंग पर भी पड़ता है। एक्सपर्ट का मानना है कि डायबिटीज पेशेंट को कोलोरेक्टल (कोलेन) कैंसर से ज्यादा खतरा है।

Latest Videos

डायबिटीज पेशेंट को कोलन कैंसर का खतरा ज्यादा

खराब लाइफस्टाइल,हाई फैट डाइट और लो फाइबर भोजन कोलेन कैंसर और डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाता देता है। डायबिटीज पेशेंट में आंखों से लेकर किडनी, लिवर और हार्ट की बीमारियों का अधिक खतरा देखा जाता है।जामा जर्नल में प्रकाशित हालिया स्टडी के अनुसार डायबिटीज पेशेंट में बिना डायबिटीज वालों की तुलना में कोलोरेक्टल (कोलेन) कैंसर होने का जोखिम 47% अधिक हो सकता है। ये कैंसर मुख्यरूप से बृहदान्त्र (पाचन तंत्र का अंतिम भाग ) में अनियंत्रित कोशिकाओं के बढ़ने के कारण होता हैं। इस कैंसर से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है।

डायबिटीज पेशेंट को सावधान रहने की जरूरत

स्टडी में पाया गया है कि पिछले 5 सालों के भीतर डायबिटीज पेशेंट में कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा सबसे अधिक देखा गया है। इसमें बताया गया है कि जब किसी को डायबिटीज का पता चलता है तो कैंसर का भी स्क्रीनिंग साथ में कराना चाहिए। जिससे कि समय रहते जोखिमों की पहचान कर खतरे को कम करने के उपाय किए जा सके।

क्या है शोधकर्ताओं की सलाह

स्टडी में आए नतीजों को देखने के बाद शोधकर्ताओं का कहना है कि डायबिटीज पेशेंट में हार्ट और किडनी की बीमारियों के साथ-साथ कैंसर के खतरे पर भी गंभीरता से ध्यान करने की जरूरत है। ज्यादातर मामलों में कैंसर का पता तब चलता है जब वो लास्ट स्टेज में पहुंच जाता है। 45 साल के बाद डॉक्टर की सलाह पर कोलोरेक्टल कैंसर की जांच जरूर करानी चाहिए। डायबिटीज पेशेंट को हर साल कोलोनोस्कोपी करनी चाहिए।

क्या होती है कोलोनोस्कोपी?

कोलोनोस्कोपी एक ऐसा प्रोसिजर है जो पूरे कोलन (बड़ी आंत) को अंदर से जांच करने में मदद करता है। इस प्रोसिजर में एक लंबी, लचीली ट्यूब का उपयोग करके की जाती है जिसे कोलोनोस्कोप कहा जाता है। ट्यूब के एक सिरे पर एक लाइट और एक छोटा कैमरा होता है। इसके जरिए बढ़ी हुई कोशिकाओं का पता लगाया जाता है।

और पढ़ें:

Hormone Imbalance का क्या है आयुर्वेदिक तरीका? जानें खास Ayurvedic Principles

आज से ही खाना शुरू कर देंगे ब्रोकली, जब जानेंगे हेल्थ से जुड़े 9 फायदे

Share this article
click me!

Latest Videos

त्रिशूल लेकर तांडव और हाथी घोड़े पर संत, निरंजनी अखाड़े की हुई एंट्री #Shorts
संगम किनारे तैरती रोशनी... मन मोह लेगा महाकुंभ 2025 का यह अद्भुत नजारा । Mahakumbh 2025 Night Video
महाकुंभ 2025: गजब का है इन नागा संन्यासी का हठ योग, कड़ाके की ठंड में रोज करते हैं ये खतरनाक काम
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ से सामूहिक विवाह तक, महाकुंभ 2025 में सरकारी योजनाओं का हो रहा ऐसे प्रचार
क्या वक्फ बोर्ड की जमीन पर हो रहा है MahaKumbh 2025 ? #Shorts #Mahakumbh2025