अकेलापन दिमाग से जुड़ी इस गंभीर बीमारी को देता है न्यौता, वक्त रहते हो जाएं सचेत, स्टडी का खुलासा

शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को धूम्रपान, अधिक शराब पीने, खराब नींद और एक्सरसाइज करने की आदत है उन्हें आने वाले दिनों में अकेले रहने का जोखिम पैदा कर सकता है। जिसकी वजह से वो डिमेंशिया के शिकार हो सकते हैं।

 

हेल्थ डेस्क.दुनिया भर में डिमेंशिया (dementia) के मामले बढ़ रहे हैं। डब्ल्यूएचो की मानें तो 5.5 करोड़ से ज्यादा लोग पूरी दुनिया में इससे पीड़ित हैं और हर साल करीब 1 करोड़ नए मामले सामने आते हैं। डिमेंशिया या मनोभ्रंश उम्र बढ़ने के साथ होने वाला एक सिंड्रोम  है जो किसी व्यक्ति की याददाश्त, सोच,अनुपस्थिति,समझ और सामाजिक क्षमताओं को इतना अधिक प्रभावित करता है कि रोजाना के जीवन की गतिविधियों का सामना करना मुश्किल हो जाता है।

इस वजह से बढ़ सकता है डिमेंशिया का जोखिम

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हाल के स्टडीज ने सुझाव दिया है कि सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने से डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मनोभ्रंश एक सिंड्रोम है जो जैविक उम्र बढ़ने के सामान्य परिणामों से अपेक्षा से परे ज्ञानात्मक काम में गिरावट की ओर ले जाता है।शोधकर्ताओं ने पाया कि धूम्रपान, अत्यधिक शराब पीने, खराब नींद और बार-बार व्यायाम की कमी जैसी आदतों वाले लोगों में अल्जाइमर रोग और संबंधित डिमेंशिया के लिए जोखिम कारक बढ़ गया। ये उन्हें अकेले होने के बड़े जोखिम में डालता है।

अकेलापन बनाता है डिमेंशिया का शिकार

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन को जर्नल ऑफ द अमेरिकन गेरिएट्रिक्स सोसाइटी में प्रकाशित किया गया था। इसमें कहा गया है कि सामाजिक रूप से अलग-थलग रहने वाले वृद्ध वयस्कों में डिमेंशिया विकसित होने की संभावना उन वृद्ध वयस्कों की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक होती है जो अकेलेपन के शिकार नहीं होते हैं।

इस उम्र के लोगों पर किया गया शोध

स्टडी के सभी प्रतिभागियों की उम्र 65 या उससे अधिक थी। उन्हें संज्ञानात्मक कार्य, स्वास्थ्य स्थिति और सभी तरह के काम का आकलन करने के लिए सालाना दो घंटे का व्यक्तिगत साक्षात्कार पूरा करने के लिए कहा गया था।

9 साल के शोध का ऐसा रहा नतीजा

शुरुआती साक्षात्कार में, 5,022 प्रतिभागियों में से 23 प्रतिशत सामाजिक रूप से अलग-थलग थे और उनमें मनोभ्रंश के कोई लक्षण नहीं दिखे। हालांकि 9 साल के स्टडी के अंत तक प्रतिभागियों के टोटल नमूने में से 21 प्रतिशत में डिमेंशिया विकसित दिखाई दिया था। शोध के वरिष्ठ सहयोगी एलिसन हुआंग का कहना है कि सामाजिक रूप से अलग-थलग पड़े वृद्ध वयस्कों का सामाजिक नेटवर्क छोटा होता है, वे अकेले रहते हैं और सामाजिक गतिविधियों में उनकी सीमित भागीदारी होती है।

बुनियादी संचार तकनीक अलगाव से निपटने में कारगर

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में जेरिएट्रिक मेडिसिन में पोस्टडॉक्टरल फेलो एमफॉन उमोह के मुताबिक बुनियादी संचार तकनीक सामाजिक अलगाव से निपटने के लिए एक बेहतरीन उपकरण है। इस शोध से पता चलता है कि इजी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अहम कारण हैं जो वृद्ध वयस्कों को सामाजिक अलगाव से बचाते हैं, जो महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिमों से जुड़ा है। यह उत्साहजनक है क्योंकि इसका मतलब है कि सरल हस्तक्षेप काम कर सकते हैं।

हाल के दशक में अलगाव के बढ़े मामले

पिछले एक दशक में सामाजिक अलगाव बढ़े हैं। खासकर कोविड -19 महामारी (Covid-19 pandemic)में लागू प्रतिबंधों की वजह से।इस क्षेत्र में आगे के शोध में जैविक सेक्स, शारीरिक सीमाओं, नस्ल और आय स्तर के आधार पर बढ़े हुए जोखिमों पर ध्यान देना चाहिए।

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