15000 अस्पतालों ने तोड़ा करार, 2 बड़ी बीमा कंपनियों के ग्राहकों को नहीं मिलेगी कैशलेस सुविधा

Published : Aug 26, 2025, 10:19 AM IST
Hospital

सार

Cashless Treatment Suspend: लाखों मेडिकल इंश्योरेंस ग्राहकों को 1 सितंबर 2025 से बड़ा झटका लगने वाला है। देशभर के करीब 15,000 अस्पतालों ने 2 बड़ी बीमा कंपनियों-बजाज आलियांज और केयर हेल्थ इंश्योरेंस के साथ अपना कैशलेस टाई-अप खत्म करने की घोषणा की है। 

Cashless Treatment Suspend: कोई भी बीमारी हो या फिर एक्सीडेंट, अस्पताल जाएं और फ्री में इलाज पाएं-मेडिकल कंपनी से इंश्योरेंस लेने के बाद इंसान चिंतामुक्त हो जाता है। कैशलेस की वजह से मरीजों को अस्पताल में आरामदायक और बिना झंझट का इलाज मिलता है। लेकिन अब दो बड़ी कंपनियों के ग्राहकों के लिए संकट खड़ा हो गया है। क्योंकि इन दोनों कंपनियों की कैशलेस सुविधा अस्पताल बंद करने जा रहे हैं। इनमें एक नाम बजाज आलियांज और दूसरा नाम केयर हेल्थ इंश्योरेंस का है। 1 सितंबर 2025 से कैशलेस इलाज बंद करने के आदेश एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (AHPI) ने जारी किए हैं। यह स्वास्थ्य सेवा देने वाले अस्पतालों का बड़ा संगठन है।

कैशलेस सुविधा खत्म होने पर क्या होगा असर?

अगर इन दोनों कंपनियों और अस्पतालों के बीच मामला नहीं सुलझता है, तो लाखों ग्राहकों को झटका लगेगा। अस्पताल में भर्ती होने और इलाज के दौरान आने वाले सभी खर्च मरीजों को खुद वहन करना होगा। यानी इलाज के लिए उन्हें जेब से पैसे देने पड़ेंगे और बाद में इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम करके पैसा वापस लेना होगा।

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एएचपीआई ने क्यों उठाया ऐसा कदम?

एएचपीआई का कहना है कि इन बीमा कंपनियों ने इलाज खर्च की दरों (टैरिफ रेट) में कोई बदलाव नहीं किया है, जबकि मेडिकल खर्च लगातार बढ़ रहे हैं। इसके अलावा, कंपनियां गैर-जरूरी दस्तावेज मांगती हैं और क्लेम भुगतान में देरी करती हैं, जिससे मरीजों को डिस्चार्ज में परेशानी होती है।

15 हजार अस्पतालों का बड़ा फैसला

एएचपीआई की घोषणा के बाद देशभर के 15,000 अस्पतालों ने 1 सितंबर से कैशलेस इलाज सुविधा बंद करने का फैसला कर लिया है। संगठन ने केयर हेल्थ इंश्योरेंस को भी नोटिस भेजा है और 31 अगस्त 2025 तक जवाब मांगा है। यदि जवाब नहीं मिला, तो उनके पॉलिसीधारकों के लिए भी कैशलेस इलाज सुविधा रोक दी जाएगी।

बजाज आलियांज पर कार्रवाई क्यों?

एएचपीआई का आरोप है कि बजाज आलियांज हर दो साल में मेडिकल महंगाई के हिसाब से टैरिफ रेट संशोधित करने के उनके प्रस्ताव को नहीं मानता। इतना ही नहीं, कंपनी टैरिफ रेट को भी कम करने का दबाव डालती है। इसके साथ ही, इंश्योरेंस क्लेम सेटलमेंट में देरी की जाती है, जिससे डिस्चार्ज अप्रूवल भी लेट होता है। इसी वजह से संगठन ने इस कंपनी पर सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। वहीं, केयर हेल्थ इंश्योरेंस को नोटिस भेजा गया है, बातचीत होने पर कोई नया फैसला लिया जा सकता है।

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