रिसर्च में सामने आया है कि प्रदूषण की वजह से डिमेंशिया का जोखिम बढ़ रहा है। ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ में वायु प्रदूषण की वजह से लोग इस बीमारी के जद में आ रहे हैं। विशेषज्ञों का यह निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदूषण कम करने के लिए कहता है।
हेल्थ डेस्क.दुनिया भर में 57 मिलियन से अधिक लोग मनोभ्रंश यानी डिमेंशिया (dementia) के साथ जी रहे हैं। इसकी संख्या में लगातारा इजाफा हो रहा है। कुछ सबूत यह बताते हैं कि वायु प्रदूषण (Air pollution) डिमेंशिया के केस में इजाफा कर रहा है। अमेरिका में हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के विशेषज्ञों ने डिमेंशिया और सूक्ष्म कणों (पीएम2.5 के रूप में जाना जाता है) के संपर्क में आने के बीच कनेक्शन की जांच करने के लिए 14 स्टडी पर गौर किया।
फाइन पार्टिकुलेट मैटर (PM) एक वायु प्रदूषक है जो ठोस या तरल पदार्थों के छोटे टुकड़ों से बना होता है। सांस लेने के दौरान यह लोगों के शरीर के अंदर चला जाता है। शोधकर्ताओं के एनालिसस में पता चला कि प्रत्येक दो माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर औसत वार्षिक पीएम2.5 (PM2.5) डिमेंशिया के जोखिम को 4 प्रतिशत बढ़ा देता है। उनके निष्कर्ष बीएमजे जर्नल में प्रकाशित हैं।
मानव के फैलाए गए प्रदूषण से बढ़ा डिमेंशिया का खतरा
कई आंकड़े बताते है कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड गैसों के संपर्क में आने से डिमेंशिया के जोखिम का एक और कारण हो सकता है। वहीं, शोधकर्ताओं ने ओजोन प्रदूषओं के बीच होने वाली रिएक्शन के कारण हवा में बनने वाली गैस और डिमेंशिया के बीच जोखिम का कोई संबंध नहीं पाया। मानव की ओर से फैलाए गए वायु प्रदूषण और डिमेंशिया के बीच कनेक्शन पाया गया है।
हर साल वायु प्रदूषण से 6.5 मिलियन लोगों की होती है मौत
यूके में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि वायु प्रदूषण में डिमेंशिया जोखिम को काफी हद तक प्रभावित करने की क्षमता है। वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि वायु प्रदूषण अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के बढ़ते जोखिम से भी जुड़ा हुआ है। अमूमन 6.5 मिलियन मौतों के कारण हर साल वायु प्रदूषण होता है।
सरकारों को वायु प्रदूषण रोकने की दिशा में काम करना होगा
विशेषज्ञों ने कहा कि हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसे लेकर हम बहुत काम कर सकते हैं। सरकार को वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में तुरंत काम करना होगा। ताकि दिमागी हेल्थ को बनाए रखा जा सकें। दुनिया की तमाम सरकारों की तरफ से इसे लेकर पहल करने की जरूरत है।
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